Hareli Tihar in CM House: मुख्यमंत्री निवास में हरेली उत्सव, सीएम साय ने किया भगवान शिव का अभिषेक, प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

Hareli Tihar in CM House: मुख्यमंत्री निवास में हरेली उत्सव, सीएम साय ने किया भगवान शिव का अभिषेक, प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

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  • Publish Date - July 24, 2025 / 02:16 PM IST,
    Updated On - July 24, 2025 / 02:17 PM IST

Hareli Tihar in CM House/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • मुख्यमंत्री निवास में हरेली उत्सव,
  • सीएम साय ने किया भगवान शिव का अभिषेक
  • लोंदी खिलाकर दिया पशुधन संरक्षण का संदेश

रायपुर: Raipur News: छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति के पहले पर्व “हरेली” पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी स्थित अपने निवास कार्यालय में गौरी-गणेश, नवग्रह की पूजा कर भगवान शिव का अभिषेक किया। पहली बार मुख्यमंत्री निवास में हरेली के पूजन में भिलाई की ग्रेजुएट धनिष्ठा शर्मा ने अपने बड़े भाई दिव्य शर्मा के साथ भगवान शिव के अभिषेक में मंत्रोच्चार किया, इससे मुख्यमंत्री साय एवं उनके परिजनों सहित मौजूद सभी अतिथि प्रभावित हुए।

हरेली के पूजा-पाठ में विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, कृषि मंत्री  राम विचार नेताम, महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े और राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा भी शामिल हुए।

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Hareli Tihar in CM House: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने खेती किसानी के कामों में उपयोग होने वाले नांगर, रापा, कुदाल व दूसरे कृषि यंत्रों की विधिवत पूजा-अर्चना कर हरेली उत्सव का शुभारंभ किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदेश के किसानों समेत समस्त छत्तीसगढ़ वासियों की ख़ुशहाली एवं सुख-समृद्धि की कामना की।

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Hareli Tihar in CM House: मुख्यमंत्री साय ने पशुधन संरक्षण के संदेश के साथ गाय और बछड़े को पारंपरिक लोंदी और हरा चारा खिलाया। इस अवसर पर उन्होंने प्रदेशवासियों को हरेली पर्व की शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हरेली पर्व केवल किसानों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, पर्यावरण और पशुधन से जुड़े हमारे गहरे रिश्ते को भी दर्शाता है। इस दिन गाय एवं अन्य मवेशियों को गेहूं के आटे, नमक और अरंडी के पत्तों से तैयार लोंदी खिलाने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे पशुओं को कई प्रकार की बीमारियों से बचाव मिलता है और उनकी सेहत बेहतर रहती है।

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Hareli Tihar in CM House: मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति में पशुओं को परिवार का सदस्य माना गया है। हरेली का यह पर्व हमें पशुधन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके संरक्षण का संकल्प लेने की प्रेरणा देता है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे अपनी परंपराओं से जुड़ें और पशुधन की देखभाल एवं सुरक्षा को प्राथमिकता दें। मुख्यमंत्री निवास में आयोजित इस अवसर पर पारंपरिक छत्तीसगढ़ी परिवेश और पूजा-पद्धति के साथ लोक संस्कृति की जीवंत झलक देखने को मिली।

हरेली पर्व क्या है और इसका महत्व क्या है?

हरेली पर्व छत्तीसगढ़ का पहला पारंपरिक त्योहार होता है, जो खेती, पर्यावरण और पशुधन के संरक्षण से जुड़ा होता है। हरेली पर्व पर किसान कृषि यंत्रों, पशुओं और प्रकृति की पूजा कर अपनी समृद्धि के लिए आभार प्रकट करते हैं।

हरेली पर्व कब मनाया जाता है?

हरेली पर्व हर साल सावन महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। यह आमतौर पर जुलाई-अगस्त के बीच आता है और कृषि सत्र की शुरुआत को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री निवास में हरेली पर्व कैसे मनाया गया?

हरेली पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने गौरी-गणेश और भगवान शिव की पूजा की, कृषि यंत्रों का पूजन किया, और गाय-बछड़े को पारंपरिक लोंदी और हरा चारा खिलाया। इस दौरान मंत्रोच्चार, पारंपरिक छत्तीसगढ़ी परिधान और सांस्कृतिक झलकियों के साथ आयोजन किया गया।

हरेली पर्व के दिन कौन-कौन से कार्य पारंपरिक रूप से किए जाते हैं?

हरेली पर्व के दिन नांगर, कुदाल, रापा जैसे कृषि औजारों की पूजा की जाती है, मवेशियों को विशेष आहार (लोंदी) दिया जाता है, घरों में नीम की डंडियों को दरवाजों पर लगाया जाता है और झूला झूलने की परंपरा निभाई जाती है।

हरेली पर्व बच्चों और युवाओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

हरेली पर्व नई पीढ़ी को अपनी जड़ों और छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति से जोड़ने का अवसर देता है। इससे वे पर्यावरण, पशुधन और परंपरागत मूल्यों के प्रति जागरूक होते हैं।