Tamradhwaj Sahu on Naxalism || Image- IBC24 NEWS File
Tamradhwaj Sahu on Naxalism: रायपुर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अगले साल यानी 2026 के मार्च महीने तक छत्तीसगढ़ समेत देशभर से वामपंथी उग्रवाद के ख़त्म होने का दावा कर रहें हैं। वे लगातार बस्तर के दौरे पर है और नक्सल विरोधी अभियान पर बारीक़ नजर बनाये हुए है। यही वजह है कि, उनके दिशानिर्देश पर सभी नक्सल प्रभावित राज्यों में पुलिस और सुरक्षाबलों ने माओवादियों के खिलाफ व्यापक अभियान छेड़ दिया है। बड़े पैमाने पर नक्सलियों को ढेर किया जा रहा है। इसके अलावा माओवादी जंगलों से बाहर आकर सरेंडर भी कर रहे है। आलम ये है कि, अब देशभर में महज एक दर्जन शीर्ष नेता ही शेष रह गए है जबकि ज्यादातर माओवादी लीडर्स को मार गिराया गया है। सबसे बड़ी कामयाबी इसी साल छत्तीसगढ़ में तब मिली थी जब माओवादियों के शीर्ष नेता और महासचिव बसवा राजू को बस्तर के जंगलों में ढेर कर दिया गया था।
सरकार और पुलिस के दबाव की वजह से अब नक्सली बस्तर के अंदरूनी इलाकों तक सिमटकर रह गए है। कभी सैकड़ों की संख्या में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाले माओवादी खुद की जान बचाने के लिए छोटे-छोटे टुकड़ो में बंटकर भूमिगत हो गए है। ग्रामीणों से भी उन्हें पहले की तरह सहयोग नहीं मिल रहा है। जंगलों में चलने वाले उनके हथियारों के फैक्ट्रियों को भी नष्ट किया जा चुका है। इतना ही नहीं बल्कि खुद के कमजोर होने की बात नक्सली अपने प्रेसनोट में करते रहे है।
बात करें राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा की तो वह भी प्रदेश को नक्सल मुक्त बनाने के अभियान में जुटे हुए है। वे अब भी नक्सलियों से आत्मसमर्पण करने और समाज की मुख्यद्वार में जुड़ने की अपील कर रहे है।
हालांकि, कांग्रेस को सरकार के इस दावे पर संदेह है। पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता ताम्रध्वज साहू का मानना है कि, 2026 तक नक्सलवाद को ख़त्म नहीं किया जा सकेगा, ऐसा सम्भव ही नही है।
ताम्रध्वज साहू ने यह दावा भी किया है कि, तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने नक्सलियों पर जो चौतरफा दबाव बनाया था, उसकी वजह से ही मौजूदा सरकार नक्सलवाद के खात्मे का दावा कर रही है। बहरहाल ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि, भाजपा की सरकार अब पूर्व गृहमंत्री के दावों पर किस तरह की प्रतिक्रिया देती है।