ये है संवर रहे सुकमा की कहानी.. कोर्रा गाँव का गंगाराम बनेगा डॉक्टर.. पिता छोटे किसान तो माँ बीनती है महुआ-हर्रा..

  •  
  • Publish Date - August 8, 2023 / 09:14 PM IST,
    Updated On - August 8, 2023 / 09:14 PM IST

सुकमा : बस्तर संभाग के इस जिले की पहचान यूँ तो नक्सलियों के गढ़ के रूप में होती रही है, पर छत्तीसगढ़ सरकार की दूरगामी सोंच और सुकमा जिला प्रशासन की पहल से सुकमा के युवाओं ने सुकमा की पहचान बदल दी है। (An inspirational story of sukma) सुकमा के गरीब आदीवासी छात्र को MBBS की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे सुकमा कलेक्टर हरिस एस. ने छात्र के NEET की तैयारियों के लिए मदद की अब छात्र ने NEET एग्ज़ाम निकाल MBBS बनने को तैयार है। छात्र गंगा के गाँवों में जश्न सा माहौल है।

ये है दुनिया का सबसे अमीर भिखारी, 7 करोड़ रुपए से ज्यादा है संपत्ति, हर महीने कमाता है इतने रुपए 

दरअसल नक्सल प्रभावित सुकमा जिले की पहचान धीरे-धीरे बदलने लगी है। नक्सल घटनाओं के लिए देश दुनिया में प्रसिद्ध सुकमा अब शिक्षा, खेल और मनोरंजन के क्षेत्र में अपनी नई पहचान बना रहा है। क्षेत्र की संवेदनशीलता के कारण यहां डॉक्टर सेवा देने से कतराते हैं। नतीजा स्वास्थ्य सुविधाएं बेहाल है। जिले के हालातों को देखते हुए क्षेत्र के युवा डॉक्टर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव पहल, युवाओं में जागरूकता के साथ आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।

कोर्रा ग्राम पंचायत के आश्रित गांव माड़ियारास का माड़वी गंगाराम डॉक्टर बनने जा रहा है। कड़ी मेहनत से उसने नीट की परीक्षा पास की है। 720 अंको में गंगाराम को 522 अंक मिले हैं। गंगा के एमबीबीएस में चयन होने के बाद गांव में खुशी का माहौल है। लोगों का कहना है कि पूरे इलाके में गंगा पहला डॉक्टर बनेगा। गंगा के घर की आर्थिक हालात बेहद नाजुक है। पिता माड़वी हड़मा छोटा किसान है। पारंपरिक खेती किसानी के अलावा वनोपज पर पूरे परिवार का जीवन आधारित है। गंगाराम के अलावा घर में एक बेटा किशोर और बेटी रितु भी है। माँ माड़वी बंडी बच्चों के लिए साप्ताहिक बाजार में वनोपज बेचकर किसी तरह घर चलाती है।

राज्य में आयोजित होगा राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा लघु फिल्म महोत्सव, आप भी लें हिस्सा, बढ़ाई की पंजीकरण की तारीख 

ऐसा रहा सफर

कोर्रा में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद गंगा का चयन सुकमा में संचालित नवोदय विद्यालय में हो गया। 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल के प्रिंसिपल ने गंगा को पुणे में संचालित दक्षिणा कैंपस कोचिंग सेंटर के बारे में बताया। प्रिंसपल से मिली गाइडेंस के बाद गंगा पुणे चला गया। (An inspirational story of sukma) यहां बिना तैयारी के नीट परीक्षा दिया जिसमें उसे 172 नंबर प्राप्त हुए। करीब 9 महीने तक कड़ी मेहनत कर गंगा ने दोबारा नीट की परीक्षा दी जिसमें उसे 522 अंक प्राप्त हुए।

जिला प्रशासन बना सारथी

नीट परीक्षा पास होने के बाद माड़वी गंगाराम के सामने उसकी गरीबी डॉक्टर बनने से रोक रही थी। एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए कॉलेज एडमिशन में परेशानी आ रही थी गंगाराम ने मदद के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगाया। कलेक्टर हरीस एस ने माड़वी गंगा के सपनों को पूरा करने का बीड़ा उठाया। कॉलेज में एडमिशन के लिए उन्होंने आर्थिक मदद ही नहीं की बल्कि डॉक्टरी पढ़ाई के दौरान हर स्तर पर सहयोग करने का आश्वासन दिया। जिसके बाद अब सुकमा का आदिवासी युवक डॉक्टर बनने को पुरी तरह से तैयार है।

रिपोर्ट : राजा राठौर IBC24

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें