देखिए बस्तर विधानसभा के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड मीटर

देखिए बस्तर विधानसभा के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड मीटर

देखिए बस्तर विधानसभा के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, क्या कहता है जनता का मूड मीटर
Modified Date: November 29, 2022 / 08:10 pm IST
Published Date: September 18, 2018 4:03 pm IST

जगदलपुर। विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है बस्तर विधानसभा क्षेत्र के विधायकजी की। बस्तर वो कस्बा है, जिसके नाम पर ये पूरा इलाका जाना जाता है आज भी यहां की 90 फीसदी आबादी खेती-किसानी और मजदूरी पर निर्भर है तमाम कोशिशों के बावजूद भी यहां लोगों की आजीविका का स्तर नहीं बदला है, जबकि राजनीतिक तौर पर ये विधानसभा अपेक्षाकृत जागरुक मानी जाती हैफिलहाल सीट पर कांग्रेस का कब्जा है और लखेश्वर बघेल यहां से विधायक हैं सियासी इतिहास की बात करें तो यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला बराबरी का रहा हैलेकिन मिशन 2018 में बढ़त लेने के लिए दोनों पार्टी चुनावी तैयारी में जुट गई हैं

2008 में अस्तित्व में आई बस्तर विधानसभा क्षेत्र में बस्तर और बकावंड दो अहम सियासी केंद्र हैंबस्तर में जहां शुरू से कांग्रेस का दबदबा रहा है..तो वहीं बकावंड बीजेपी का गढ़ माना जाता हैनई-नई बनी इस सीट पर 2008 में कांग्रेस की अच्छी संभावना दिखाई दे रही थी नतीजे उसके उलटे आए और बीजेपी के सुभाऊ कश्यप ने यहां से जीत हासिल कीलेकिन 2013 में कांग्रेस के लखेश्वर बघेल ने सुभाऊ कश्यप को हराकर सीट को कांग्रेस के पाले में कर दियाइस चुनाव में कांग्रेस को जहां, 57942 वोट मिलेवहीं बीजेपी महज 38774 वोट ले सकीइस तरह जीत का अंतर 19168 वोटों का रहा।

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वैसे तो परंपरागत तौर पर ये सीट कांग्रेस की मानी जाती रही हैलेकिन पिछले चुनाव में महारा समाज के बीजेपी से नाराज होने के चलते वोटों का ध्रुवीकरण हुआ, जिसका नुकसान बीजेपी को हुआदरअसल बस्तर विधानसभा में करीब 20 हजार महारा समाज के वोटर हैंजो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैंपिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बस्तर विधानसभा में करारी शिकस्त मिली थी लिहाजा इस बार वो सीट पर कब्जा करने के लिए अभी से जोर लगाना शुरू कर दिया है

वहीं दूसरी और कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल के पास गिनाने की उपलब्धि के तौर पर कुछ भी नहीं हैक्षेत्र में लोगों की समस्याओं को लेकर भी उनकी सक्रियता को लेकर सवाल उठते रहे हैंकुल मिलाकर बस्तर का सियासी माहौल बताता है कि यहां 2018 की सियासी जंग दिलचस्प होगी। मुद्दों की बात की जाए तो आज भी बस्तर विधानसभा में बुनियादी मुद्दे ही लोगों के लिए बड़ी राजनीतिक समस्या हैइसके अलावा प्रत्याशियों की निजी पहचान और व्यक्तित्व भी चुनाव अहम होता हैअंदरूनी इलाकों में सड़कों का निर्माण होने के बावजूद भी गुणवत्ताविहीन होने की वजह से लोग परेशान हैं बेतरतीब तरीके से बनाई गई सड़कों में प्रमुख रूप से मुख्य बसाहटों को जोड़ने की कोशिश नहीं की गई विधानसभा का बड़ा इलाका फ्लोराइड ग्रस्त है जिससे करीब एक दर्जन गांवों में लोगों को पेयजल समस्या के लिए भी जूझना पड़ता है

बस्तर में जनता की ये शिकायतें आपको पूरे विधानसभा क्षेत्र में सुनने को मिल जाएंगीपरिसीमन के बाद अस्तित्व में आई बस्तर विधानसभा क्षेत्र के लोगों को अपने जनप्रतिनिधि से काफी उम्मीदें थीलेकिन पहले बीजेपी और फिर कांग्रेस प्रत्याशी को अपना विधायक चुनने के बाद भी उनकी समस्याएं जस की तस बनी हुई है सबसे ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है शिक्षा के क्षेत्र मे भी स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकतीबकावंड में नया कॉलेज खोला गयालेकिन शिक्षक नहीं होने के कारण पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

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नारंगी और मारकंडेय के संगम का इलाका फ्लोराइड प्रभावित है लोग बीमार हो रहे हैं लेकिन पेयजल की बेहतर व्यवस्था इस इलाके में अब तक नहीं की गई है नेताओं ने कई बार घोषणा तो की पर इन इलाकों में पानी नहीं पहुंचा यही हाल किसानों का भी है कहने को किसानों को रियायती दर पर बिजली दी जा रही है लेकिन जमीनी हालात बिल्कुल अलग हैं किसानों के खेतों में लो वोल्टेज होने की वजह से कई बार बिजली नहीं पहुंच पाती।

बस्तर में आज भी लोगों की आय का प्रमुख जरिया वनोपज है उद्योग नहीं होने की वजह से यहां पलायन बड़ी समस्या है युवाओं के पास रोजगार नहीं है, जिसे लेकर युवाओँ में काफी नाराजगी हैडिशा सीमा से लगा होने की वजह से सीमा से जुड़ा विवाद कई गांवों के बीच हैधान खरीदी में भ्रष्टाचार भी यहां बड़ा मुद्दा है बारिश के दौरान कई इलाकों में सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया हैचुनावी साल है तो इन मुद्दों को लेकर सियासत भी जोर पकड़ने लगी है।

कुल मिलाकर बस्तर में फिलहाल सियासतदानों के जो तेवर नजर आ रहे उससे इतना तो तय है कि आने वाले चुनाव में सियासी लड़ाई व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप के स्तर पर उतरने वाली है ..अब ये जनता की ऊपर है कि उसे किसका कुर्ता ज्यादा सफेद नजर आता है ।

दावेदारों की बात की जाए तो कांग्रेस में सीटिंग एमएलए लखेश्वर बघेल के कद का दूसरा कोई नेता नजर नहीं आताइसलिए उनका टिकट लगभग तय माना जा रहा है बावजूद इसके उनके विरोधियों की तादाद पिछले कुछ समय से पार्टी के भीतर बढ़ी है हाल ही में कुछ युवा प्रत्याशी जनपद सदस्य भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैंबीजेपी में भी टिकट के लिए कई दावेदार हैंसुभाऊ कश्यप के अलावा यहां सांसद दिनेश कश्यप के नाम की भी चर्चा है।

बस्तर में सियासी बिसात बिछ चुकी हैपरिसीमन के बाद 2008 और 2013 में यहां हुए बेहद दिलचस्प सियासी मुकाबले के बाद 2018 में भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होने के पूरे आसार बन रहे हैं हालांकि दोनों ही दलों में टिकट दावेदारों की भीड़ ने पार्टी हाईकमान के लिए टेंशन जरूर बढ़ा दी हैबीजेपी की बात करें तो पूर्व विधायक सुभाऊ कश्यप को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है पिछली हार को भुलाकर वो एक बार फिर चुनावी जंग में उतरने के लिए तैयार है।

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हालांकि इस बार सुभाऊ कश्यप के लिए टिकट की राह इतनी आसान नहीं होगीदरअसल जिला पंचायत अध्यक्ष जविता मंडावी काफी सक्रिय नजर आ रही हैंआदिवासी महिला चेहरा होने के साथ बीजेपी में तेजी से बढ़ते उनके ग्राफ को देखते हुए उन्हें टिकट का मजबूत दावेदार माना जा रहा हैवहीं केदार कश्यप के करीबी कुछ नेता भी यहां टिकट के लिए जोर लगा रहे हैंअटकलें ये भी लगाई जा रही है कि सांसद दिनेश कश्यप को बीजेपी यहां मौका दे सकती है।

दूसरी ओर कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों की बात की जाए तो सीटिंग एमएलए लखेश्वर बघेल टिकट के स्वाभाविक दावेदार हैं और बड़े नेता होने और जीत के बड़े अंतर की वजह से उनकी टिकट पक्की मानी जा रही है हालांकि पूर्व विधायक अंतु राम कश्यप सहित कई नेता भी कांग्रेस से टिकट की दौड़ में शामिल हैं।

बस्तर में वैसे तो कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुख्य मुकाबला होता आया है लेकिन इस बार जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ भी चुनावी मैदान में है पार्टी ने मनीराम को प्रत्याशी घोषित कर यहां बढ़त लेने की कोशिश की है इसके अलावा सीपीआई और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार भी इस इलाके से नामांकन दाखिल करते रहे हैंवहीं चुनाव के पास कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों के नामांकन दाखिल करने की संभावना है

वेब डेस्क, IBC24


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