CG High Court: || Image source- IBC24 Archive
बिलासपुर। CG High Court: पति को तलाक देने के बाद चार साल के मासूम बच्चे को छोड़कर महिला अन्य व्यक्ति के साथ रहने चली गई। उसकी मां ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। लेकिन महिला ने कोर्ट में उपस्थित होकर अपनी मर्जी से उस व्यक्ति के साथ रहने की बात कही। महिला के बालिग होने पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, लेकिन महिला को नशामुक्त करने के लिए इलाज कराने के निर्देश भी दिए।
CG High Court: हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत कर महिला की मां ने कहा था कि उसकी बेटी को दो व्यक्ति उसकी सहमति के बिना नशीली दवाओं के प्रभाव में अवैध रूप से रखे हुए हैं। आरोपी नशे का कारोबार करते है। उन्होंने उसे नशीली दवाओं की लत लगा दी और उसका यौन शोषण और शारीरिक शोषण कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने सरगुजा के संबंधित थाने से अपनी शिकायतों के अभिलेखों को मंगवाने की मांग की गई। उनके सहयोगियों के खिलाफ और संबंधित लापरवाह पुलिस अधिकारियों और मादक पदार्थों के तस्करों-पैडलर्स के खिलाफ प्रथम श्रेणी के पुलिस अधिकारी की अध्यक्षता वाली किसी जांच एजेंसी के माध्यम से मामले में निष्पक्ष और उचित जांच कराने की मांग भी की गई।
याचिकाकर्ता ने बेटी को नशे और शारीरिक शोषण के कारण उत्पन्न चिकित्सा स्थितियों से उबारने और पुनर्वास के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने की मांग कोर्ट से की। बच्ची पिता के संरक्षण में शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत कर कहा गया कि याचिकाकर्ता की बेटी को परिवार न्यायालय से तलाक की डिक्री दी गई है। बच्चे को न्यायालय ने पिता के संरक्षण में दिया है। महिला को बच्चे से मिलने की छूट दी गई है। उसे थाने में बुलाकर बयान लिया गया जिसमें उसने अपनी मर्जी से उस व्यक्ति के साथ रहने की बात कही। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बीडी गुरू की डीबी ने महिला की उपस्थिति एवं उसके बालिग होने तथा अपनी मर्जी से उस व्यक्ति के साथ रहने की बात कहे जाने पर प्रस्तुत बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया।