गौशाला में दो दर्जन से अधिक गायों की मौत, रोजाना थम रही 8-10 गायों की सांसें, डींगें हांकने में लगा है निगम प्रशासन

गौशाला में दो दर्जन से अधिक गायों की मौत, रोजाना थम रही 8-10 गायों की सांसें, डींगें हांकने में लगा है निगम प्रशासन

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  • Publish Date - December 31, 2019 / 01:44 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:32 PM IST

मुरैना: प्रदेश में कड़ाके की ठंड का कहर लगातार जारी है। ठंड के चलते सोमवार को जिले के देवरी गौशाला में करीब दो दर्जन से अधिक गायों की मौत हो गई। जबकि एक दर्जन गांवों की हालत गंभीर है, वे मरणासन्न अवस्था में हैं। वहीं, अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां रोजाना 8-10 गायों की मौत हो रही है। बताया जा रहा है गायों की मौत की वजह सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि चारा की कमी भी प्रमुख वजह है। बताया गया कि गौशाल में गायों की देखभाल के लिए रात में महज तीन से चार कर्मचारी मौजूद रहते हैं, जबकि यहां 1400 गाएं दस्तावेजों में दर्ज है।

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गौशाला के कर्मचारियों की मानें तो देवरी गौशाला में आए दिन चारा की कमी के चलते आए दिन गायों की मौत होते रहती है। इस बात की जानकारी निगम के अधिकारियों को भी है। जब भी चारा उपलब्ध करवाने की बात कही जाती है तो निगम के अधिकारी पैसे की कमी होने का हवाला दे दिया जाता है।

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उन्होंने यह भी बताया कि नगर निगम में पैसे की कमी है, इसलिए भूसे के ठेकेदार का भुगतान नहीं किया गया है। गायों के रहने की भी कोई व्यवस्था नहीं हैं, कहने को तो गौशाला है लेकिन गायें यहां खुले में रहने को मजबूर हैं। यहां पशु चिकित्सक की भी व्यवस्था नहीं है। गायों की उपचार के लिए यहां कभी-कभी ही डॉक्टर आते हैं। इस दौरान उन्होंने आगे बताया कि यहां गायों की मौत की वजय ये भी है कि दुर्घटनाग्रस्त गायों को भी यहां रखा जाता है।

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नगरनिगम के रिकॉर्ड के अनुसार गौशाला परिसर में करीब 1400 गायें हैं, लेकिन वर्तमान में वहां करीब एक हजार गाय हैं। इनमें से करीब 500 गायों को 1 सप्ताह पूर्व कुछ किसान छोड़कर गए हैं, यहां कुप्रबंधन के चलते आए दिन गायों की मौत हो रही है। गायों की मौत के पीछे उनकी उचित देखभाल ना होने का कारण भी सामने आया है। यहां सिर्फ 10 कर्मचारी तैनात हैं, जिनमें से रात में गार्ड सहित तीन लोग रहते हैं। गौशाला पहुंच कर देखा गया वहां मृत गायों को जेसीबी से ट्रैक्टर ट्रॉली में डालकर ले जा रहे थे, गौशाला में प्रतिदिन 8-10 गायों की मौत हो रही हैं। हालांकि इस पूरे मामले में अधिकारी व्यवस्था के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकिकत कुछ और ही बयां कर रही है।

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