वायनाड के चुनावी मैदान में राहुल को चुनौती देंगे तीन और गांधी

वायनाड के चुनावी मैदान में राहुल को चुनौती देंगे तीन और गांधी

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  • Publish Date - April 6, 2019 / 01:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:14 PM IST

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। एक ओर जहां अमेठी के चुनावी मैदान में केंद्रीय मंत्री उन्हें टक्कर देने के लिए तैयार हैं तो दूसरी ओर वायनाड सीट से राहुल गांधी के साथ-साथ 3 अन्य गांधियों ने चुनावी मैदान में उतरने का आगाज कर दिया है। राहुल गांधी की मुश्किलें तब और बढ़ जाती है जब ये देखते हैं कि उनके खिलाफ 3 गांधियों में से दो का नाम भी राहुल गांधी ही है। बता दें राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2019 में अमेठी और वायनाड दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी के खिलाफ लड़ने वाले इन दोनों उम्मीदवारों के परिवार कांग्रेस के बड़े समर्थक रहे हैं।

ये 3 गांधी होंगे वायनाड के चुनावी मैदान में
1. राहुल गांधी केई
2. राघुल गांधी के
3. केएम शिवप्रसाद गांधी

स्थानीय लोेगों का कहना है कि राहुल गांधी केई का परिवार कांग्रेस सम​र्थक है। उनके पिता कुंजुमन खुद कांग्रेस के सदस्य हैं और कांग्रेस से प्रभावित होकर उन्होंनें अपने दोनों बेटों का नाम राहुल और राजीव रखा है। हालांकि कुजुमन के दोनों बेटों का कांग्रेस पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। छोटे भाई राजीव मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े समर्थक हैं। लेकिन खुद राहुल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

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वहीं, वायनाड सीट से चुनाव लड़ रहे राघुल गांधी के पिता भी कांग्रेस के समर्थक थे। वे अगिला इंडिया मक्कल कझगम पार्टी की ओर से उम्मीदवार हैं। राघुल ने बताया कि “मेरे पिता कृष्णन बी स्थानीय कांग्रेस नेता थे। इसलिए उन्होंने बेटे का नाम राघुल गांधी और बेटी का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी रखा। आज उनके दिए नाम की वजह से ही मैं कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ खड़ा हूं। राघुल इससे पहले भी दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। 2014 में उन्होंने कोयंबटूर के निकाय चुनाव लड़े थे। इसके बाद 2016 में उन्होंने तमिलनाडु की सिंगनल्लूर से विधानसभा चुनाव लड़ा था।

चुनावी मैदान में उतरे चौथे गांधी उम्मीदवार केएम शिवप्रसाद गांधी एक स्कूल मास्टर हैं। वे थ्रिसुर के एक स्कूल में संस्कृत के अध्यापक हैं। उनका कहना है कि उनके पिता केके मुकुंदन कांग्रेस कार्यकर्ता थे। लेकिन गांधी नाम उन्हें पिता की वजह से नहीं मिला। यह उन्होंने खुद इंडियन गांधियन पार्टी ज्वाइन करने के बाद नाम के आगे जोड़ लिया। शिवप्रसाद का कहना है कि वह पिछले 10 सालों से अपना विजन बताने के लिए मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कभी मिलने का मौका नहीं मिला।

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चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं ‘गांधी’
केरल में 2004 चुनाव के दौरान एक ही नाम के उम्मीदार होने के चलते कांग्रेस नेता को हार का सामना करना पड़ा था। 2004 में अलपुझा से कांग्रेस नेता वीएम सुधीरन अपने जैसे नाम वाले वीएस सुधीरन से हार गए थे। दोनों उम्मीदवारों के बीच महज 1009 वोटों का अंतर था। वहीं कोझिकोड में 2009 में एक जैसे नाम वाले चार उम्मीदवारों की वजह से माकपा केए मुहम्मद रियास हार का सामना करना पड़ा था। सभी उम्मीदवारों को करीब 4 हजार वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार 800 वोट अधिक मिले थे।

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