पंजाब में पराली जलाने के 60 प्रतिशत मामले तरन तारन, अमृतसर, गुरदासपुर से |

पंजाब में पराली जलाने के 60 प्रतिशत मामले तरन तारन, अमृतसर, गुरदासपुर से

पंजाब में पराली जलाने के 60 प्रतिशत मामले तरन तारन, अमृतसर, गुरदासपुर से

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:35 PM IST, Published Date : October 24, 2022/11:34 am IST

चंडीगढ़, 24 अक्टूबर (भाषा) पंजाब में 15 सितंबर और 22 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 3,700 घटनाएं हुईं जिनमें 60 प्रतिशत मामले माझा क्षेत्र के तीन जिलों – तरन तारन, अमृतसर और गुरदासपुर से हैं।

लुधियाना स्थित पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, तरन तारन से पराली जलाने के 1,034 मामले सामने आए जो राज्य में सबसे अधिक है। इसके बाद अमृतसर से पराली जलाने के 895 मामले और गुरदासपुर से 324 मामले सामने आए। इस दौरान राज्य में पराली जलाने के कुल 3,696 मामले आए हैं।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अक्टूबर और नवंबर में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना एक कारण है। दिवाली के आसपास पटाखे जलाने से अकसर स्थिति और खराब हो जाती है।

राज्य के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि पंजाब में कुल खेती वाले क्षेत्र के 35 प्रतिशत हिस्से में धान की फसल तैयार हो चुकी है और एक या दो दिन में धान की कटाई शुरू हो जाएगी।

सितंबर में बेमौसम बारिश के कारण फसल कटाई में कम से कम 10 दिनों की देरी हुई। इस खरीफ के मौसम में पंजाब में लगभग 30.84 लाख हेक्टेयर धान का रकबा है। जिन अन्य जिलों में अब तक पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं, उनमें पटियाला (246), कपूरथला (214), फिरोजपुर (187), जालंधर (169) और लुधियाना (131) शामिल हैं। पठानकोट राज्य का एकमात्र जिला है, जहां इस मौसम में अब तक एक भी पराली जलाने की घटना नहीं हुई है।

खेत में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आई है क्योंकि राज्य में 10 अक्टूबर से ऐसे मामलों में चार गुना वृद्धि देखी गई है। 10 अक्टूबर तक राज्य में पराली जलाने की 718 घटनाएं हुई थीं।

हालांकि, पिछले दो वर्षों में पराली जलाने की घटनाओं की तुलना में इस साल वर्तमान स्थिति थोड़ी बेहतर है। पंजाब में 2020 और 2021 में 22 अक्टूबर तक पराली जलाने की क्रमश: 10,785 और 5,438 घटनाएं हुई थीं। 22 अक्टूबर को, पंजाब में पराली जलाने की 582 सक्रिय घटनाएं देखी गईं। हालांकि, आंकड़ों के मुताबिक, 2020 और 2021 में इस दिन राज्य में ऐसी 1,341 और 1,111 घटनाएं हुई थीं।

राज्य सरकार द्वारा अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों का आश्वासन देने और पराली जलाने के खिलाफ बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने के बावजूद खेतों में पराली में जलाने की घटनाएं हो रही हैं। चूंकि धान की कटाई के बाद गेहूं (रबी फसल) की खेती के लिए समय बहुत कम होता है, इसलिए किसान फसल अवशेषों को जल्दी से हटाने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं। पंजाब सालाना लगभग 180 लाख टन धान की पुआल पैदा करता है।

संगरूर, मनसा, बठिंडा और अमृतसर सहित कई जिलों में बड़े पैमाने पर पराली जलाने की घटनाओं के साथ राज्य में 2021 में पराली जलाने की 71,304 घटनाएं दर्ज की गईं, 2020 में 76,590, 2019 में 55,210 और 2018 में 50,590 घटनाएं दर्ज की गईं।

भाषा सुरभि धीरज

धीरज

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)