जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्रवाई किसी क्षेत्र, ईंधन स्रोत, गैस स्रोत तक सीमित न हो : भूपेन्द्र यादव

जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्रवाई किसी क्षेत्र, ईंधन स्रोत, गैस स्रोत तक सीमित न हो : भूपेन्द्र यादव

जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्रवाई किसी क्षेत्र, ईंधन स्रोत, गैस स्रोत तक सीमित न हो : भूपेन्द्र यादव
Modified Date: November 29, 2022 / 08:14 pm IST
Published Date: November 16, 2022 12:55 pm IST

नयी दिल्ली, 16 नवंबर (भाषा) वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्रवाई किसी भी क्षेत्र, ईंधन स्रोत और गैस स्रोत तक सीमित नहीं की जा सकती तथा सभी देशों को अपनी-अपनी राष्ट्रीय परिस्थिति के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए।

भारत ने शनिवार को प्रस्ताव किया था कि वार्ता में भी जीवाश्म ईंधन कम करने का निर्णय किया जाए । इस आह्वान का मंगलवार को यूरोपीय संघ ने समर्थन किया ।

ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन के ‘बेसिक ग्रुप’ (बीएएसआईसी ग्रुप) के मंत्रियों की मंगलवार को मिस्र के शर्म-अल-शेख में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र प्रारूप सम्मेलन की 27वीं पक्षकार संगोष्ठी (कॉप-27) में केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव हिस्सा ले रहे हैं ।

 ⁠

यादव ने कहा, ‘‘कॉप-27 में, हमें अपने साथी विकसित देशों को एक बार फिर राजी करना चाहिये कि कार्रवाई महत्वपूर्ण होती है, वादे नहीं । हर कॉप बैठक में संकल्प पर संकल्प किये जाते हैं, जो जरूरी नहीं कि फायदेमंद हों।’’

उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाई के जरिये ही विकास को मापना चाहिये, जो उत्सर्जन में सीधी कमी की तरफ ले जाये और विकसित देशों को चाहिये कि वह दुनिया को ऐसा करके दिखायें।

पर्यावरण एवं जलवायु परिर्वतन मंत्री ने कहा, ‘‘ जलवायु परिवर्तन को लेकर कार्रवाई किसी भी क्षेत्र, किसी भी ईंधन स्रोत और किसी भी गैस स्रोत तक सीमित नहीं की जा सकती तथा सभी देश अपनी-अपनी राष्ट्रीय परिस्थिति के अनुसार कार्रवाई करें।’’

उन्होंने कहा कि इस संबंध में अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने के लिहाज से जलवायु कार्रवाई के लिये भारत दो मुद्दों..मानवता और जलवायु न्याय पर अपनी स्थिति फिर से स्पष्ट करना चाहता है।

उन्होंने कहा कि भारत मानता है कि सभी देशों का वैश्विक कार्बन बजट में अपने-अपने हिस्से पर अधिकार है तथा सभी को अपनी-अपनी समग्र उत्सर्जन सीमा में ही रहना चाहिये।

भूपेन्द्र यादव ने कहा कि अपने मौजूदा लक्ष्य को समय के काफी पहले शून्य उत्सर्जन तक पहुंचा देने वाले विकसित देशों को शेष कार्बन बजट तक विकासशील देशों को पहुंच देनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि यह काम गहन ऋणात्मक उत्सर्जन तथा विकसित देशों के कार्बन ऋण को निधि में परिवर्तित करके किया जा सकता है।

केंद्रीय मंत्री ने इस दिशा में न्यायपूर्ण परिवर्तन पर जोर दिया और कहा कि भारत के लिये न्यायपूर्ण परिवर्तन का मतलब, धीरे-धीरे कम-कार्बन विकास रणनीति तक पहुंचना है ताकि खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा, विकास व रोजगार सुनिश्चित हो तथा इस प्रक्रिया में कोई भी पीछे न रह जाये।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी नजर में विकसित देशों के साथ कोई भी साझेदारी इस नजरिये पर ही आधारित होनी चाहिये।’’

भाषा दीपक दीपक नरेश

नरेश


लेखक के बारे में