Assam govt repeal Muslim Marriages and Divorce Registration Act.jpg
गुवाहाटी: भाजपा शासित राज्य असम में हिमंता सरकार ने मुसलामानों के निकाह से जुड़े कानूनों पर बड़ा फैसला लिया है। सरमा के अगुवाई वाली सरकार ने मुस्लिम मैरिज एक्ट को निरस्त कर दिया हैं। सरकार के मुख्य ने इसके पीछे बाल-विवाह जैसी सामजिक बुराइयों क रोकने का हवाला दिया है। वही अब फैसले पर मुस्लिम समाज की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
लखनऊ के ईदगाह के इमाम मौलाना शेख रशीद फिरंगी महली ने इस प्रकरण पर कहा, “मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि कोई भी मुस्लिम संगठन बाल विवाह को बढ़ावा नहीं देता है। देश में पहले से ही एक कानून है कि न्यूनतम आयु 18 वर्ष है महिलाओं के लिए 21 और पुरुषों के लिए 21 वर्ष की आयु विवाह के लिए अनिवार्य है।
शेख रशीद फिरंगी महली ने कहा, देश में पहले से ही शरीयत आवेदन अधिनियम है, महिला सुरक्षा अधिनियम भी है। ये अधिनियम केंद्र स्तर पर हैं। इसलिए, हमें लगता है कि राज्यों को इस पर अमल नहीं करना चाहिए। मेरा मानना है कि मुसलमान बाल विवाह को बिल्कुल भी बढ़ावा नहीं देते हैं। इसलिए, समय-समय पर लगाए जाने वाले ऐसे सभी आरोप निराधार हैं।”
#WATCH | On Assam government’s decision to repeal the Assam Muslim Marriages and Divorce Registration Act and Rules 1935, Lucknow Eidgah Imam, Maulana Khalid Rasheed Firangi Mahali says, “I would like to clarify that no Muslim organisation does not promote child marriage at all.… pic.twitter.com/S9fBY7Uek4
— ANI (@ANI) July 19, 2024