मोरबी पुल हादसे के आरोपियों को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द करने से किया इनकार

Morbi bridge accident : मोरबी पुल हादसे के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आगंतुकों को टिकट जारी करने वाले

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  • Publish Date - August 8, 2023 / 09:39 PM IST,
    Updated On - August 8, 2023 / 09:39 PM IST

नई दिल्ली : Morbi bridge accident : मोरबी पुल हादसे के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आगंतुकों को टिकट जारी करने वाले आरोपी को गुजरात हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने से इनकार कर दिया है। आरोपी ने पिछले साल मोरबी पुल हादसे के दिन आगंतुकों को टिकट जारी किए थे। मोरबी पुल हादसे में 140 से अधिक लोग मारे गए थे। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ट्रैजेडी विक्टिम एसोसिएशन मोरबी की ओर से पेश वकील की दलील से सहमत नहीं हुई कि हाईकोर्ट ने गलत तरीके से आरोपी को जमानत दी है।

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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

Morbi bridge accident : उच्च न्यायालय द्वारा 9 जून को आरोपी मनसुखभाई वालजीभाई टोपिया को दी गई जमानत को रद्द करने की याचिका खारिज करते हुए सीजेआई ने कहा- वह तो केवल टिकट बेच रहा था। पीठ ने सोमवार को अपने आदेश में कहा- हम संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत विशेष अनुमति याचिकाओं पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज की जाती हैं। जमानत देते वक्त गुजरात उच्च न्यायालय ने इस तथ्य पर ध्यान दिया था कि जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है।

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हाईकोर्ट ने कही थी ये बात

Morbi bridge accident : उच्च न्यायालय कहना था कि चूंकि मुकदमे को समाप्त होने में वक्त लगेगा, इसलिए न्यायिक हिरासत में आवेदक की उपस्थिति की आवश्यक नहीं है। आरोपी कंपनी द्वारा नियुक्त टिकट जारी करने वाला व्यक्ति था और इसलिए अदालत की राय है कि आवेदक को नियमित जमानत पर रिहा करने का यह एक उपयुक्त मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में घटे मोरबी पुल हादसे को पिछले साल 21 नवंबर को ‘बड़ी त्रासदी’ करार देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय से इस मामले में जांच और पुनर्वास तथा पीड़ितों को मुआवजा दिलाने समेत अन्य पहलुओं की निगरानी करने को कहा था।

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Morbi bridge accident : न्यायालय ने इन दलीलों को हालांकि खारिज कर दिया कि एक जांच आयोग गठित किया जाना चाहिए ताकि मोरबी जैसे हादसे फिर ना हों। शीर्ष अदालत ने घटना की स्वतंत्र जांच की मांग वाली जनहित याचिका समेत कुछ अर्जियों पर विचार करने से मना करते हुए कहा था कि गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पहले ही हादसे का स्वत: संज्ञान लिया है। उन्होंने अनेक आदेश पारित किए हैं। बता दें कि मोरबी में मच्छु नदी पर बना ब्रिटिश काल का पुल 30 अक्टूबर को ढह गया था, जिसमें 47 बच्चों समेत 141 लोगों की मौत हो गई थी।

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