ब्रांड-न्यू होंडा एक्टिवा के शोरूम से बाहर निकलते ही पुलिस ने काटा Rs 1 लाख का चालान

ब्रांड-न्यू होंडा एक्टिवा के शोरूम से बाहर निकलते ही पुलिस ने काटा Rs 1 लाख का चालान

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  • Publish Date - September 22, 2019 / 08:09 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:46 PM IST

नई दिल्ली,। नए मोटर व्हीकल एक्ट को लागू हुए 20 दिन हो चुके हैं और अब तक कई हजारों और लाखों रुपये के ट्रैफिक चालान सामने आ चुके हैं। लेकिन, ऐसे में एक दिलचस्प जुर्माना सामने आया है जिसमें एक नए स्कूटर की कॉस्ट से भी ज्यादा जुर्माना लगाया गया है। जी हां, यह मामला ओडिशा का है, जहां ब्रांड-न्यू होंडा एक्टिवा को पुलिस ने सीज कर दिया और एक्टिवा के मालिक से पूछताछ के बाद डीलरशिप पर सीधा 1 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया।

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होंडा एक्टिवा को भुवनेश्वर से 28 अगस्त को खरीदा गया था। 12 सितंबर को इस स्कूटर को कटक में एख नियमित चेक पोस्ट पर सड़क परिवहन अधिकारियों द्वारा रोका गया। इसके बाद देखा गया कि स्कूटर पर रजिस्ट्रेशन नंबर मौजूद नहीं है। ऐसे में RTO ने डीलर पर रजिस्ट्रेशन प्लेट न लगाने पर करीब 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना नए मोटर व्हीकल अधिनियम के अनुसार लगाया गया था। इसके अलावा RTO ने भुवनेश्वर के अधिकारियों को डीलरशिप का ट्रेड लाइसेंस रद्द करने को कहा कि उन्होंने बिना किसी डॉक्यूमेंट्स के स्कूटर कैसे डिलीवर किया। भारत में, सभी नए वाहनों को रजिस्ट्रेशन नंबर, इंश्योरेंस और पॉल्यूशन सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है, जिसे ग्राहक को वाहन सौंपने से पहले डीलरशिप द्वारा दिया जाना होता है। यह कोई नया नियम नहीं है लेकिन लंबे समय से है। हालांकि, नए संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट के साथ जुर्माने की दरें बढ़ गई हैं।

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अब ऐसे में यह पता नहीं चल पाया है कि ग्राहक को स्कूटर कैसे मिलेगा या मालिक द्वारा कितना जुर्माना देना होगा। देशभर में कई डीलरशिप नए वाहन पर ट्रेड सर्टिफिकेट का उपयोग करते हैं। इन सर्टिफिकेट का मतलब है कि इन्हें सिर्फ डीलरशिप के इंटरनल काम के लिए इस्तेमाल किया जाए। इन ट्रेड सर्टिफिकेट के जरिए वाहन को स्टॉकयार्ड से शोरूम और शोरूम से शोरूम ले जा सकते हैं। निजी काम के लिए इनका इस्तेमाल नहीं कर सकते। हालांकि, एक बार जब वाहन बिक जाता है तो इसे टेम्पोरेरी रजिस्ट्रेशन नंबर या फिर एक पर्मानेंट रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ कहीं भी चला सकते हैं। देशभर में कई राज्यों में डीलरशिप्स के जरिए रजिस्ट्रेशन नंबर कुछ ही दिनों में मिल जाता है। वहीं, दिल्ली में डीलरशिप ऑनलाइन ही पर्मानेंट रजिस्ट्रेशन नंबर मुहैया करा देते हैं।

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