गोसाबा, 21 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने रविवार को कहा कि असम के होजाई जिले में एक दिन पहले ट्रेन की चपेट में आने से हुई हाथियों की मौत के मामले में केंद्र सरकार ने रिपोर्ट मांगी है।
पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में ‘प्रोजेक्ट एलिफेंट’ और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की बैठक के बाद मंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अरावली क्षेत्र की सुरक्षा के संबंध में ‘कोई छूट नहीं दी’ गई है।’’
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा, ‘‘अरावली पर्वतमाला के कुल 14.4 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से केवल 0.19 प्रतिशत क्षेत्र में ही खनन की अनुमति है। शेष संपूर्ण अरावली क्षेत्र संरक्षित है।’’
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों को तत्काल प्रभाव से लागू करेगी।
उच्चतम न्यायालय ने 20 नवंबर 2025 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत गठित एक समिति की अरावली पर्वत श्रृंखला की परिभाषा संबंधी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था।
नयी परिभाषा के अनुसार, ‘‘अरावली पहाड़ी, निर्दिष्ट अरावली जिलों में स्थित भू-आकृति है जिसकी ऊंचाई उसके स्थानीय भूभाग से 100 मीटर या उससे अधिक हो। जबकि अरावली पर्वत श्रृंखला, इस तरह की एक दूसरे से 500 मीटर की दूरी के दायरे में स्थित दो या दो से अधिक ऐसी पहाड़ियों का समूह है।’’
यादव ने यह भी कहा कि सभी राज्यों को रेल मार्गों के आसपास हाथियों की आवाजाही पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘रेलवे अधिकारियों को पटरियों के पास हाथियों की आवाजाही को लेकर राज्यों के वन विभागों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया गया है। असम में हाथियों की मौत के मामले में रिपोर्ट मांगी गई है।’’
उन्होंने कहा कि लोको पायलट (ट्रेन चालकों) और वन अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय बेहद जरूरी है।
शुक्रवार देर रात असम के होजाई जिले में सायरंग-नयी दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आने से सात हाथियों की मौत हो गई। इस दुर्घटना में ट्रेन के पांच डिब्बे और इंजन भी पटरी से उतर गए थे।
मंत्री ने कहा, ‘‘जिलाधिकारियों को भी राजमार्गों पर हाथियों की आवाजाही की जानकारी वन विभागों के साथ साझा करने को कहा गया है।”
यादव ने कहा कि असम और देश के वे सभी इलाके जहां हाथियों का प्रवास और पटरियां मौजूद हैं, वहां मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम), मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) और स्थानीय लोगों को हितधारक बनाकर टीम गठित की गई हैं।
उन्होंने कहा कि हाथियों के लिहाज से देश में करीब ऐसे 1,100 दुर्घटना संभावित क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं, जहां इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए निवारक उपाय किए जा रहे हैं।
मंत्री के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में बाघ परियोजना के लिए 112 करोड़ रुपये और हाथियों के संरक्षण के लिए 344 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस निधि का अधिकांश हिस्सा उपयोग में नहीं लाया गया।’’
यादव ने कहा कि जहां सुंदरबन में हर साल करीब 9.5 लाख पर्यटक आते हैं, वहीं रणथंभौर बाघ अभयारण्य में सालाना 18 से 19 लाख पर्यटक पहुंचते हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘करीब 2,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला सुंदरबन जैव विविधता से भरपूर है, जहां पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियों के अलावा बाघ, हिरण और मगरमच्छ जैसे वन्यजीव पाए जाते हैं। इसके बावजूद इसका सही तरीके से प्रचार नहीं हो पाया है। पारिस्थितिकी और विकास के बीच संतुलन बनाना जरूरी है और इस पर राज्य सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।’’
भाषा संतोष सुभाष
सुभाष