शिवसेना…संकट…सबक…भारी पड़ी बंद कमरे की सियासत! सीएम उद्धव ठाकरे ने कहां की चूक?
शिवसेना...संकट...सबक...भारी पड़ी बंद कमरे की सियासत! CM Uddhav Thackeray 5 Major Mistakes which Become Political Crisis
मुंबई: CM Uddhav Thackeray 5 Major Mistakes महाराष्ट्र की महा अघाड़ी सरकार खतरे में है। एकनाथ शिंदे अब भी गुवाहाटी में अपने समर्थकों के साथ डेरा जमाए बैठे हैं। इधर सीएम उद्धव ठाकरे अपना सरकारी आवास छोड़कर मातोश्री में मोर्चा जमाए हुए हैं। बैठकों और बयानों का दौर जारी है। पूरे देश की निगाहें इस वक्त महाराष्ट्र में मचे इस रार पर टिकी हैं। उद्धव सरकार की मौजूदा अस्थिरता और साथ ही शिवसेना के अंदर लीडरशिप और पॉवर गेम का नया समीकरण कई सवालों को जन्म दे रहा है। ये सवाल बेहद अहम हैं क्योंकि इनके जवाब देश की राजनीति को आईना दिखाने वाले हैं।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
CM Uddhav Thackeray 5 Major Mistakes महाराष्ट्र में सियासी भूकंप…शिंदे के आगे उद्धव पस्त…डोल रही सरकार की नाव…शिवसेना की हिली बुनियाद। महाराष्ट्र का ये संकट क्या बता रहा है? सियासत को क्या सिखा रहा मौजूदा गतिरोध? शिवसेना से कहां हुई गलती…सीएम उद्धव ठाकरे ने कहां की चूक?
सत्ता, सिंहासन और सियासत की कहानी में साजिश के पड़ाव आते ही हैं, लेकिन लोग पत्थर फेंकते वक्त ये भूल जाते हैं कि उनके घर भी शीशे के बने हुए हैं। नतीजा उन्हें मुश्किल वक्त में पत्थर नहीं चट्टानों की मार झेलनी पड़ जाती है। कुछ यही दास्तां है शिवसेना के सामने खड़े संकट की दंभ के सिंहासन में बैठी उद्धव सरकार ये देख ही नहीं पाई कि असंतोष का दीमक लगातार उसकी बुनियाद को कुतर रहा है। बाला साहेब ठाकरे की विरासत का परचम थामे उद्धव ठाकरे ये भूल गए कि सत्ता की रपटीली राह में ज़रा सी गलती भारी पड़ जाती है। तो कौन सी है वो गलती जो शिवसेना और सीएम उद्धव ठाकरे को भारी पड़ गई है?
- गलती नंबर एक- सीएम बनते ही बंद कमरे की सियासत के कायल हो गए उद्धव ठाकरे
- गलती नंबर दो- ठाकरे ने अपने विधायकों से मिलना तक छोड़ दिया
- गलती नंबर तीन- पुराने अलायंस की जगह नए साझेदारों पर ज्यादा भरोसा किया
- गलती नंबर-4- सीएम ठाकरे ने पार्टी और सरकार दोनों जगह स्वयंभू की तरह बरताव किया
- गलती नंबर-5.. सीएम ने बेटे और पत्नी को संगठन और सत्ता पर हावी होने की छूट दे दी
Read More: दागी पर दंगल! राजनीति में अपराधीकरण को कौन दे रहा बढ़ावा?
सीएम उद्धव को जब कुर्सी मिली तो उन्होंने हिंदुत्व वाली विचारधारा से किनारा करने से भी गुरेज नहीं किया। उनको ये वहम था कि पार्टी और सरकार दोनों ही जगह उनकी पोजिशन अनचैलेंज्ड है, लेकिन उन्हें ये याद नहीं रहा कि वो बाला साहेब ठाकरे नहीं हैं। जिनके लिए शिवसैनिक मरने-मारने पर उतारू रहते थे, वो तो केवल उनकी छाया हैं। महाराष्ट्र की ये राजनीतिक परिस्थिति सीख है देश की सियासदानों की लिए कि जब भी आमराय की राजनीति से कोई दूर होगा। जब भी पार्टी लाइन को सिरे से खारिज किया जाएगा। जब भी कार्यकर्ताओं के जज्बात की अनदेखी होगी..सत्ता पलटेगी..तख्त हिलेंगे..ताज उछलेंगे..। जी हां याद रखें..संकट एक..सबक अनेक।
Read More: सोनू भिड़े ने फिर दिखाया अपना बोल्ड अंदाज, ब्रालेट पहन खुद ही क्ल्कि की मिरर में सेल्फी

Facebook



