Contract Employees News Today: ‘संविदा कर्मचारियों का हक है’ नियमितीकरण की मांग कर रहे संविदा कर्मचारियों के लिए हाईकोर्ट से आई बड़ी खुशखबरी, लड़नी पड़ी लड़ाई

Contract Employees News Today: 'संविदा कर्मचारियों का हक है' नियमितीकरण की मांग कर रहे संविदा कर्मचारियों के लिए हाईकोर्ट से आई बड़ी खुशखबरी, लड़नी पड़ी लड़ाई

Contract Employees News Today: ‘संविदा कर्मचारियों का हक है’ नियमितीकरण की मांग कर रहे संविदा कर्मचारियों के लिए हाईकोर्ट से आई बड़ी खुशखबरी, लड़नी पड़ी लड़ाई

Contract Employees Latest News/ Image Source: File

Modified Date: July 1, 2025 / 02:36 pm IST
Published Date: July 1, 2025 2:14 pm IST
HIGHLIGHTS
  • हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है
  • सभी महिलाओं का मूलभूत अधिकार है
  • महिला और नवजात शिशु के 'शून्य दूरी' सिद्धांत

भुवनेश्वर: Contract Employees News Today लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे संविदा कर्मचारियों के हक में हाईकोर्ट ने आज बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के हक की रक्षा करते हुए सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही कहा है कि मातृत्व अवकाश महिला कर्मचारी का हक है, जिसे छीना नहीं जा सकता है। मां का अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराना उसका मौलिक अधिकार है, और बच्चे का भी यह अधिकार है कि उसे मां का दूध और उचित देखभाल मिले।”

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Contract Employees News Today दरअसल एक महिला की ‘यंग प्रोफेशनल’ के पद पर नियुक्ति हुई थी नियुक्ति के कुछ दिन बाद महिला ने 17 अगस्त 2016 से 12 फरवरी 2017 तक मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था, जिसे विभाग की ओर से बिना कोई कारण बताए रिजेक्टर कर दिया गया। विभाग के इस फैसले से आहत होकर महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए माना कि महिला को मातृत्व अवकाश के लाभ से वंचित किया गया। इसके बाद राज्य सरकार ने इस आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी।

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महिला की याचिका को चुनौति देते हुए राज्य सरकार की यह दलील दी गई कि चूंकि याचिकाकर्ता संविदा पर थी, इसलिए उसे मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सकता। अदालत ने सरकार की याचिका को सिरे से खारिज कर दी। खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के डॉ. कविता यादव बनाम स्वास्थ्य मंत्रालय (2023) और वित्त विभाग के 31 मार्च 2012 के ज्ञापन का हवाला देते हुए कहा कि संविदा कर्मचारी भी मातृत्व लाभ की हकदार हैं।

मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि ”सभी महिलाएं इस संदर्भ में एक समान श्रेणी में आती हैं और नियुक्ति की स्थिति के आधार पर किया गया भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। एक कल्याणकारी राज्य यह नहीं कह सकता कि ऐसी नीति को सिर्फ इसलिए लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि नियुक्ति की प्रकृति अलग है। इससे राज्य की समाज-कल्याण नीति की मूल भावना को ठेस पहुंचती है।”

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अंतर्राष्ट्रीय संधियों जैसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय वाचा (ICESCR) और महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन (CEDAW) का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा कि “कहा जाता है कि भगवान हर जगह नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने मां को बनाया। मातृत्व अवकाश का विचार इस ‘शून्य दूरी’ पर आधारित है, जिसमें मां और शिशु के बीच कोई दूरी नहीं होनी चाहिए। मां का अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराना उसका मौलिक अधिकार है, और बच्चे का भी यह अधिकार है कि उसे मां का दूध और उचित देखभाल मिले।”

 

Orisha HC Judgement on Contract Employees by dilliwar.deepak on Scribd


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

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