नीट परीक्षा पर समिति के गठन को लेकर अदालत ने तमिलनाडु सरकार से पूछे सवाल

नीट परीक्षा पर समिति के गठन को लेकर अदालत ने तमिलनाडु सरकार से पूछे सवाल

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  • Publish Date - June 29, 2021 / 09:36 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:57 PM IST

चेन्नई, 29 जून (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के प्रभाव पर तमिलनाडु सरकार द्वारा समिति के गठन पर मंगलवार को राज्य सरकार से कई प्रश्न पूछे। अदालत ने पूछा कि क्या सरकार ने उच्चतम न्यायालय की अनुमति ली है और कहीं इससे न्यायालय के आदेश का उल्लंघन तो नहीं होता।

सत्ताधारी दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने चुनाव में नीट परीक्षा को समाप्त करने का वादा किया था और हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए के राजन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति का उद्देश्य मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए सामाजिक रूप से वंचित वर्ग के परीक्षार्थियों पर नीट परीक्षा के प्रभाव का आकलन करना है।

मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने सरकार से जो सवाल पूछे उनमें से एक था, “क्या आपने उच्चतम न्यायालय (जिसने नीट परीक्षा कराने को कहा था) से अनुमति ली है? क्या यह न्यायालय के फैसले का उल्लंघन नहीं होगा?”

पीठ ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव के. नागराजन की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह प्रश्न किये। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि समिति का गठन व्यर्थ किया गया कार्य है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि तमिलनाडु को नीट परीक्षा को स्वीकार करना होगा।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को समिति गठित करने के पहले उच्चतम न्यायालय से सहमति लेनी चाहिए थी। महाधिवक्ता आर. षण्मुगसुंदरम ने न्यायाधीशों को बताया कि समिति का गठन राज्य सरकार द्वारा लिया गया एक नीतिगत निर्णय था, जिसका वादा चुनाव में किया गया था।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के हितों की रक्षा के लिए यह निर्णय लिया गया। इस पर पीठ ने कहा, “हो सकता है। लेकिन यदि यह उच्चतम न्यायालय के आदेश के विरुद्ध है, तो इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।” न्यायाधीशों ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर एक सप्ताह में जवाब तलब किया है।

भाषा यश दिलीप

दिलीप