अदालत ने नाबालिग बेटी से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति की जमानत रद्द की

अदालत ने नाबालिग बेटी से बलात्कार के आरोपी व्यक्ति की जमानत रद्द की

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  • Publish Date - September 18, 2025 / 07:08 PM IST,
    Updated On - September 18, 2025 / 07:08 PM IST

नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसे एक ‘दुर्भाग्यपूर्ण और चौंकाने वाला’ मामला बताया और उस व्यक्ति की जमानत रद्द कर दी जिस पर अपनी नाबालिग बेटी के साथ बार-बार बलात्कार करने और उसे अश्लील फिल्में देखने के लिए मजबूर करने का आरोप है।

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि व्यक्ति के खिलाफ आरोप इतने गंभीर हैं कि वह सेक्स और अश्लील वीडियो देखने का आदी है।

इसलिए अदालत ने निचली अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें व्यक्ति को जमानत दी गई थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने तथ्यों और पहलुओं पर विचार नहीं किया और गलत तथा अनुचित आधार पर राहत प्रदान की।

अदालत ने 16 सितंबर को पारित आदेश में कहा, ‘इस बात को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है कि पीड़िता के अनुसार, वह लगभग पांच साल से, जब वह लगभग दस साल की थी, अपने पिता के ऐसे घृणित कृत्यों का शिकार हो रही थी। सिर्फ इसलिए कि वे प्राथमिकी दर्ज होने से लगभग एक साल पहले अलग हो गए थे, उस अवधि में कथित यौन शोषण के कृत्यों को खत्म नहीं किया जा सकता।’

उच्च न्यायालय ने व्यक्ति को सात दिन के भीतर निचली अदालत में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने कहा कि एक बच्ची के साथ उसके अपने ही पिता द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने से ज्यादा गंभीर कुछ नहीं हो सकता, जिसने उसे जन्म दिया और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का पवित्र कर्तव्य और जिम्मेदारी उसी पर है।

रिकॉर्ड में यह बात सामने आई है कि लड़की के साथ यह दरिंदगी तब शुरू हुई जब वह लगभग 10 साल की थी और लगभग छह साल तक जारी रही।

पिता को 2021 में गिरफ्तार किया गया था और उसी साल निचली अदालत ने उसे जमानत दे दी थी।

नाबालिग लड़की ने अपनी मां के माध्यम से निचली अदालत के जमानत आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। नाबालिग लड़की का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता कपिल मदान और गुरमुख सिंह अरोड़ा ने कहा कि अपराध की गंभीरता और प्रकृति को नजरअंदाज करते हुए पूरी तरह से अप्रासंगिक सामग्री के आधार पर जमानत दी गई।

उन्होंने कहा कि जब भी उसने अपने दादा-दादी, जो उसी घर में रहते थे, को अपने यौन शोषण के बारे में बताने की कोशिश की, तो उसे डांटा गया और वे उसकी बात पर विश्वास करने को तैयार नहीं हुए।

जब उसने अपनी मां को घटना के बारे में आंशिक रूप से बताया, तो आरोपी पिता ने उसकी मां की बुरी तरह पिटाई की।

उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, ‘यह याचिकाकर्ता के शारीरिक और यौन शोषण का एक दुर्भाग्यपूर्ण मामला है, और यह किसी और ने नहीं, बल्कि उसके अपने पिता ने किया है, जब वह लगभग 10 साल की थी।’’

भाषा तान्या अविनाश

अविनाश