नयी दिल्ली, 26 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से कहा कि वह अखिल भारतीय जन संघ (एबीजेएस) की उस अर्जी पर विचार करे जिसमें आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए समान चुनाव चिह्न आवंटित करने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने यह निर्देश पारित किया और अखिल भारतीय जनसंघ द्वारा दायर याचिका का निस्तारण कर दिया।
पार्टी ने दावा किया कि इसकी स्थापना 1951 में हुई थी और इसका नाम 1979 में बदला गया तथा यह अपने अस्तित्व के दौरान चुनाव लड़ती रही है और प्रासंगिक कानूनों के अनुरूप समय-समय पर निर्वाचन आयोग से चुनाव चिह्न के लिए आवेदन भी करती रही है।
पार्टी का पक्ष रखने के लिए उपस्थित अधिवक्ता प्रणय रंजन और मृगांक प्रभाकर ने कहा कि उनके मुवक्किल ने आंध्र प्रदेश में 2024 के विधानसभा चुनावों में भाग लिया था, जिसके लिए उसे एक समान चुनाव चिह्न ‘सितार’ आवंटित किया गया था।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने आगामी बिहार चुनाव लड़ने के इरादे से एबीजेएस के बैनर तले एक समान चुनाव चिह्न आवंटित करने के लिए दो जून को एक पत्र के माध्यम से निर्वाचन आयोग से संपर्क किया था।
इसमें कहा गया, ‘‘हालांकि, निर्वाचन आयोग की ओर से कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद, चार जुलाई, 2025 को एक स्मरण पत्र भेजा गया, जिसका भी कोई जवाब नहीं आया।’’
याचिका में चुनाव चिह्न आवंटन के लिए आयोग को दो जून और चार जुलाई के लिखे पत्रों का उल्लेख करते हुए अदालत से अनुरोध किया गया कि वह समयबद्ध तरीके से एक समान चुनाव चिह्न आवंटित करने का निर्देश आयोग को दे।
याचिका में दलील दी गई कि याचिकाकर्ता को संवैधानिक गारंटी प्राप्त है और वैधानिक सुरक्षा के अधीन चुनाव लड़ने का वैधानिक अधिकार है तथा चुनाव चिह्न आवंटित न किए जाने से वह चुनाव लड़ने के अवसर से वंचित हो जाएगा।
भाषा धीरज वैभव
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