नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा को उनके पूर्व मित्र द्वारा दायर मुकदमे पर समन जारी किया। कथित मानहानिकारक बयानों के लिए मोइत्रा से दो करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने सोशल और डिजिटल मीडिया पर कथित आपत्तिजनक सामग्री के प्रकाशन के संबंध में अंतरिम राहत की मांग करने वाली वकील जय अनंत देहाद्रई की याचिका पर भी निष्कासित लोकसभा सदस्य का रुख पूछा।
देहाद्रई के वकील ने कहा कि सोशल मीडिया पर मोइत्रा के बयानों के कारण वह एक वकील के रूप में व्यवसाय और ग्राहकों को खो रहे हैं।
अदालत ने मोइत्रा के जवाब का इंतजार किए बिना इस स्तर पर अंतरिम आदेश लेने की तात्कालिकता पर देहाद्रई के वकील से सवाल किया, और कहा कि यह पीड़ित और अपराधी का मामला नहीं है क्योंकि दोनों “संघर्षरत पक्ष” हैं और सामग्री दो महीने पहले प्रकाशित हुई थी।
न्यायमूर्ति जालान ने टिप्पणी की, “यह उतना ही आपका किया है जितना किसी और का। अपने आप को पीड़ित के रूप में पेश करना बहुत मुश्किल है। आप दोनों संघर्षरत पक्ष हैं। कोई पीड़ित या अपराधी नहीं है।”
उन्होंने कहा, “ये ऐसे मामले हैं जहां आधी लड़ाई अदालत में लड़ी जाती है और आधी लड़ाई कहीं और लड़ी जाती है।”
मोइत्रा को वादी के इन आरोपों के बाद आठ दिसंबर को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था कि उन्होंने संसद में प्रश्न पूछने के लिए व्यवसायी और हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली थी।
वादी की ओर से पेश वकील राघव अवस्थी ने कहा कि मोइत्रा के खिलाफ उनके आरोपों को संसदीय समिति, लोकपाल और उच्च न्यायालय ने सत्यापित किया है, जिसने हाल ही में उन्हें सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ सामग्री पोस्ट करने से रोकने से इनकार कर दिया था।
अदालत ने कहा कि सबसे अच्छा यह है कि मोइत्रा को जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया जाए और उसने तृणमूल नेता से मामले पर उनका पक्ष रखने को कहा।
अदालत ने सोशल मीडिया मंच गूगल और ‘एक्स’ के साथ-साथ कुछ मीडिया संगठनों से भी जवाब दाखिल करने को कहा।
वकील मुकेश शर्मा के माध्यम से दायर मुकदमे में, देहाद्रई ने कहा कि मोइत्रा द्वारा अनधिकृत रूप से अपने लोकसभा लॉगिन जानकारी किसी तीसरे पक्ष को प्रदान करने के लिए अवैध परितुष्टि प्राप्त करने के संबंध में उन्होंने सीबीआई में शिकायत दर्ज की थी, जिसके बाद उन्होंने (मोइत्रा ने) उनके खिलाफ “झूठे, अपमानजनक और मानहानिकारक बयान” प्रसारित करने के लिए “बदनामी और दुर्व्यवहार भरा का एक अभियान शुरू किया”।
इस मामले में अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होगी।
भाषा प्रशांत माधव
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