केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया: असम में विदेशियों के निर्वासन पर उच्चतम स्तर पर हो रहा विचार

केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया: असम में विदेशियों के निर्वासन पर उच्चतम स्तर पर हो रहा विचार

  •  
  • Publish Date - February 25, 2025 / 06:18 PM IST,
    Updated On - February 25, 2025 / 06:18 PM IST

नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि असम में विदेशी घोषित किए गए लोगों को वापस भेजने के मुद्दे पर ‘उच्चतम कार्यकारी स्तर’ पर विचार किया जा रहा है।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पहचाने गए विदेशियों को वापस भेजने पर 21 मार्च तक फैसला किये जाने की संभावना है।

उन्होंने केंद्र के फैसले को रिकॉर्ड में रखने के लिए समय मांगा, जिसे पीठ ने स्वीकार कर लिया और अगली सुनवाई 21 मार्च को निर्धारित की।

शीर्ष अदालत ने विदेशी घोषित किए गए लोगों को अनिश्चित काल तक हिरासत केंद्रों में रखने और उन्हें वापस न भेजने के लिए चार फरवरी को असम सरकार की आलोचना करते हुए पूछा कि क्या वह ‘किसी मुहूर्त’ का इंतजार कर रही है।

असम द्वारा तथ्यों को दबाए जाने पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि एक बार हिरासत में लिए गए लोगों की पहचान विदेशी के रूप में हो जाने के बाद उन्हें तुरंत वापस भेजा जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के इस स्पष्टीकरण पर आश्चर्य व्यक्त किया कि वह विदेश मंत्रालय को राष्ट्रीयता सत्यापन फॉर्म नहीं भेज रही है, क्योंकि दूसरे देश में बंदियों के पते अज्ञात हैं।

शीर्ष अदालत ने 22 जनवरी को इसे ‘दोषपूर्ण’ हलफनामा बताते हुए मटिया ट्रांजिट कैंप में 270 विदेशियों को हिरासत में रखने के कारणों को स्पष्ट न करने के लिए असम सरकार की खिंचाई की।

शीर्ष अदालत ने असम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को शिविर में औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया ताकि केंद्र की स्वच्छता और भोजन की गुणवत्ता की जांच की जा सके।

पीठ असम में हिरासत केंद्रों में निर्वासन और सुविधाओं के पहलू से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

शीर्ष अदालत ने 16 मई, 2024 को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्र को मटिया में हिरासत केंद्र में बंद 17 विदेशियों को निर्वासित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। उसने शिविर में दो साल से अधिक समय बिताने वालों के निर्वासन को प्राथमिकता देने को कहा।

याचिका में असम सरकार को यह निर्देश देने की भी मांग की गई कि वह न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किसी भी व्यक्ति को तब तक हिरासत में न रखे, जब तक कि वह निकट भविष्य में संभावित निर्वासन का सबूत न दिखा दे।

भाषा वैभव दिलीप

दिलीप