अरावली पर शीर्ष अदालत के पुराने फैसले पर रोक लगाने के आदेश का स्वागत : पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव

अरावली पर शीर्ष अदालत के पुराने फैसले पर रोक लगाने के आदेश का स्वागत : पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव

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  • Publish Date - December 29, 2025 / 03:39 PM IST,
    Updated On - December 29, 2025 / 03:39 PM IST

नयी दिल्ली, 29 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने उच्चतम न्यायालय द्वारा अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की एक समान परिभाषा को स्वीकार करने वाले अपने पुराने फैसले पर रोक लगाने का सोमवार को स्वागत किया और कहा कि सरकार इसके संरक्षण और बहाली के लिए प्रतिबद्ध है।

उच्चतम न्यायालय ने अपने 20 नवंबर के फैसले में दिए गए निर्देशों को स्थगित कर दिया है, जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) की एक समिति की सिफारिश पर अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की एक समान परिभाषा को स्वीकार किया गया था।

शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे की व्यापक और समग्र समीक्षा के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल कर एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा।

यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘मैं उच्चतम न्यायालय द्वारा अरावली पर्वतमाला से संबंधित अपने फैसले पर रोक लगाने और मुद्दों का अध्ययन करने के लिए एक नई समिति के गठन के संबंध में उसके निर्देशों का स्वागत करता हूं। हम अरावली पर्वतमाला के संरक्षण और बहाली में एमओईएफसीसी से मांगी गई हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’

उन्होंने कहा, ‘वर्तमान स्थिति के अनुसार, नए खनन पट्टों या पुराने खनन पट्टों के नवीनीकरण के संबंध में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध बरकरार है।’

उच्चतम न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की एक समान परिभाषा को 20 नवंबर को स्वीकार कर लिया था तथा विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान एवं गुजरात में फैले इसके क्षेत्रों में नए खनन पट्टे देने पर रोक लगा दी थी।

न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की सुरक्षा के लिए अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की परिभाषा पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था।

समिति ने अनुशंसा की थी कि ‘‘अरावली पहाड़ी’’ की परिभाषा अरावली जिलों में स्थित ऐसी किसी भी भू-आकृति के रूप में की जाए, जिसकी ऊंचाई स्थानीय भू-स्तर से 100 मीटर या उससे अधिक हो; और और ‘‘अरावली पर्वतमाला’’ एक-दूसरे से 500 मीटर के भीतर दो या अधिक ऐसी पहाड़ियों का संग्रह होगा।

भाषा नोमान दिलीप

दिलीप