मनरेगा को हटाया जाना है ग्रामीण विरोधी, कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा प्रदर्शन: सुक्खू

मनरेगा को हटाया जाना है ग्रामीण विरोधी, कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया जाएगा प्रदर्शन: सुक्खू

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  • Publish Date - December 29, 2025 / 06:25 PM IST,
    Updated On - December 29, 2025 / 06:25 PM IST

शिमला, 29 दिसंबर (भाषा) मनरेगा के स्थान पर अन्य कानून लाने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने सोमवार को यहां रिज ग्राउंड में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया।

इस कदम को ‘ग्रामीण विरोधी’ और लाखों ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा के लिए ‘हानिकारक’ बताते हुए, सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस इस निर्णय के जनविरोधी स्वरूप को उजागर करने के लिए राज्य भर में जिला और प्रखंड स्तर पर विरोध प्रदर्शन करके अपना विरोध तेज करेगी।

मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों– उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और हर्षवर्धन चौहान, जगत सिंह नेगी, अनिरुद्ध सिंह, राजेश धरमानी और यादविंदर गोमा ने विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के दौरान तख्तियां ले रखी थी। उन्होंने नारे भी लगाए।

एक तख्ती पर लिखा था,‘‘पहले उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या की, अब वे उनके नाम को मिटा रहे हैं।’’

सुक्खू ने यहां जारी एक बयान में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की अगुवाई वाली संप्रग सरकार द्वारा परिकल्पित और कार्यान्वित की गई योजना ग्रामीण रोजगार और समावेशी विकास की आधारशिला रही है।

उन्होंने कहा कि लेकिन नयी व्यवस्था पंचायतों को हाशिए पर डाल देती है, क्योंकि योजना प्राधिकार को केंद्रीकृत कर दिया गया है और अब केंद्र द्वारा सीधे धन आवंटित किया जाएगा तथा परियोजनाओं को चयनित क्षेत्रों के लिए अधिसूचित किया जाएगा।

सुक्खू का कहना है कि हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक होगा, क्योंकि पहले केंद्र सरकार मनरेगा के तहत पूरी मजदूरी का भुगतान करती थी, जबकि राज्य सरकार श्रमिकों को प्रतिदिन 80 रुपये का अतिरिक्त प्रोत्साहन देती थी।

उन्होंने कहा कि संशोधित व्यवस्था के तहत, केंद्र सरकार केवल 90 प्रतिशत मजदूरी का भुगतान करेगी, शेष राशि राज्य सरकार को वहन करनी होगी।

संसद के शीतकालीन सत्र में विकसित भारत : जी राम जी विधेयक पारित किया गया था जिसने कानून बनने के मनरेगा का स्थान लिया।

भाषा राजकुमार माधव

माधव