तदर्थ न्यायाधीश के रूप में कार्यरत पूर्व न्यायाधीश एकल, खंडपीठों की अध्यक्षता कर सकेंगे: शीर्ष अदालत

तदर्थ न्यायाधीश के रूप में कार्यरत पूर्व न्यायाधीश एकल, खंडपीठों की अध्यक्षता कर सकेंगे: शीर्ष अदालत

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  • Publish Date - December 18, 2025 / 08:00 PM IST,
    Updated On - December 18, 2025 / 08:00 PM IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अपने 2021 के फैसले में संशोधन करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि आपराधिक मुकदमों के लंबित मामलों को निपटाने के लिए तदर्थ न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त किए गए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एकल पीठ या खंडपीठ की अध्यक्षता कर सकते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों को तदर्थ न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त करने के संबंध में एक नीति बनाने या मौजूदा नीति में सुधार करने को कहा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा, ‘‘न्यायिक प्रतिभा का एक विशाल भंडार है… वे 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं और उनके अनुभव का उपयोग लंबित मामलों से निपटने के लिए किया जा सकता है।’’

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 20 अप्रैल, 2021 को उच्च न्यायालयों में लगभग 57 लाख मामलों के लंबित होने का संज्ञान लिया था।

तत्कालीन पीठ ने लंबित आपराधिक मामलों को निपटाने के लिए दो से तीन साल की अवधि के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को तदर्थ न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त करने का मार्ग प्रशस्त किया था।

पूर्व न्यायाधीशों को तदर्थ न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करने के संबंध में उनके कार्यकाल, संख्या और प्रतिशत को लेकर कई दिशानिर्देश निर्धारित करते हुए पीठ ने कहा था कि तदर्थ न्यायाधीश एक नियमित न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में बैठेंगे और लंबित आपराधिक अपीलों पर निर्णय लेंगे।

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम पंचोली की पीठ ने गत फैसले के एक पहलू में बृहस्पतिवार को संशोधन करते हुए कहा कि पूर्व न्यायाधीश भी एकल पीठों की अध्यक्षता कर सकते हैं और उन्हें खंडपीठ में नियमित न्यायाधीशों का कनिष्ठ सहयोगी नहीं बनाया जाना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, स्थिति और आवश्यकता के आधार पर, एक नियमित और एक तदर्थ न्यायाधीश या यहां तक कि दो तदर्थ न्यायाधीशों वाली एक खंडपीठ का गठन कर सकते हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कई पूर्व न्यायाधीशों ने मुझसे बात की है। वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं और काम करने के इच्छुक हैं, लेकिन खंडपीठों में कनिष्ठ न्यायाधीश के रूप में बैठने में उन्हें बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है। हम इस बारे में विचार कर रहे हैं कि क्या मुख्य न्यायाधीश मौजूदा न्यायाधीश को पूर्व न्यायाधीश के साथ पीठ में बैठने के लिए राजी कर सकते हैं।’’

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि इसका समाधान आंतरिक रूप से किया जा सकता है, न्यायिक आदेश द्वारा नहीं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘तदर्थ न्यायाधीशों की एकल पीठ के गठन में कोई बाधा नहीं होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके साथ ही, मूल फैसले में भी उपयुक्त संशोधन किया जाता है।’’

उच्चतम न्यायालय ने 30 जनवरी को उच्च न्यायालयों को तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति करने की अनुमति दी थी, जिनकी संख्या न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

भाषा नोमान सुरेश

सुरेश