आबकारी नीति मामला: उच्चतम न्यायालय कविता की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा
आबकारी नीति मामला: उच्चतम न्यायालय कविता की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा
नयी दिल्ली, 18 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता की जमानत याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करेगा।
न्यायालय ने 12 अगस्त को कविता की जमानत याचिकाओं पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा था।
न्यायालय ने उक्त मामलों में कविता को जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के एक जुलाई के फैसले के खिलाफ बीआरएस नेता की याचिकाओं को सुनने पर सहमति जताई।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई 20 अगस्त की वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ उनकी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
कविता की ओर से 12 अगस्त को पेश वकील ने पीठ से कहा था कि उनकी मुवक्किल करीब पांच महीने से हिरासत में हैं और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आरोप पत्र तथा अभियोजन शिकायत दाखिल कर चुके हैं।
ईडी की अभियोजन शिकायत आरोप पत्र के समान होती है।
कविता के वकील ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि कविता को जमानत का अधिकार है।
शीर्ष अदालत ने कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी। सिसोदिया को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन, दोनों मामलों में जमानत दी गई।
उच्च न्यायालय ने एक जुलाई को कविता की जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए कहा था कि वह प्रथम दृष्टया दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 (जो अब रद्द की जा चुकी है) को तैयार करने और लागू करने से संबंधित आपराधिक साजिश रचने वाले मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक हैं।
मामला नीति को बनाने और लागू करने में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कविता (46) को 15 मार्च को हैदराबाद में उनके बंजारा हिल्स स्थित घर से गिरफ्तार किया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में 11 अप्रैल को उन्हें गिरफ्तार किया था।
कविता इन आरोपों को लगातार खारिज करती रही हैं।
भाषा
सिम्मी संतोष
संतोष

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