अटल सुरंग के उद्घाटन के साथ पूरा हुआ पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के मित्र का सपना

अटल सुरंग के उद्घाटन के साथ पूरा हुआ पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के मित्र का सपना

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  • Publish Date - October 3, 2020 / 02:32 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:36 PM IST

(धर्मेंद्र जोशी)

थोलांग (हिमाचल प्रदेश), तीन अक्टूबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में अटल सुरंग का उद्घाटन होने के साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मित्र अर्जुन गोपाल का दशकों पुराना सपना भी शनिवार को पूरा हो गया।

दिवंगत अर्जुन गोपाल उर्फ टशी दावा के बेटे अमर सिंह और राम देव ने उद्घाटन के बाद कहा कि उनके पिता ने पूर्व प्रधानमंत्री (वाजपेयी) को इस सुरंग के निर्माण का सुझाव दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण और सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल सुरंग का उद्घाटन किया। मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ने वाली 9.02 किलोमीटर लंबी अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। इससे मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर घट जाएगी और यात्रा के समय में चार से पांच घंटे तक कमी आएगी।

प्रधानमंत्री ने बाद में लाहौल घाटी के सिस्सू गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विशेष रूप से टशी दावा को याद किया और सुरंग निर्माण में उनकी भूमिका को रेखांकित किया।

यह सुरंग मनाली को वर्ष भर लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी। इससे पहले भारी बर्फबारी की वजह से घाटी छह महीने तक देश के अन्य हिस्सों से कटी रहती थी । सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह सुरंग हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ बनाई गई है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इससे पहले कहा था, ‘‘वाजपेयी को यहां सुरंग निर्माण का विचार लाहौल के तशी दोबहे गांव में रहनेवाले अर्जुन गोपाल से मिला था।’’

लाहौल-स्पीति जिले के अपने पैतृक गांव थोलांग में ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में 75 वर्षीय अमर सिंह ने कहा कि वाजपेयी से उनके पिता 1998 में दिल्ली में मिले थे। वह लाहौल-स्पीति जिले के लोगों के फायदे के लिए रोहतांग दर्रे के नीचे से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सुरंग के निर्माण की मांग करने के लिए उनसे मिले थे।

उन्होंने कहा,‘‘ मेरे पिता की मौत 2008 में हो गई। आज, उनका दशकों पुराना सपना पूरा हो गया और इस अवसर पर मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं है।”

उप निदेशक (शिक्षा) पद से सेवानिवृत्त हुए सिंह ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री और उनके पिता गुजरात के वडोदरा में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारी प्रशिक्षण शिविर (ओटीसी) के दौरान 1942 में करीबी संपर्क में आए थे। और जब 1998 में वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, तो उनके पिता ने आरएसएस के प्रमुख कार्यकर्ता चमन लाल के जरिए उनसे मुलाकात की।

सिंह ने कहा कि सुरंग के निर्माण के लिए ‘लाहौल-स्पीति-पांगी-जनजाति सेवा समिति’ का गठन किया गया और उसके संस्थापक अध्यक्ष गोपाल थे।

उन्होंने कहा कि सुरंग के लिए जो मसौदा ज्ञापन वाजपेयी को सौंपा गया था, उसे उन्होंने रक्षा, वित्त और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालयों के पास भेजा था।

सिंह ने दावा किया कि शुरुआत में रक्षा मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने 2000 में इसके निर्माण को मंजूरी दे दी। उन्होंने कहा कि वाजपेयी ने खुद केलोंग में जून,2000 में एक जनसभा के दौरान इस परियोजना की घोषणा की थी।

गोपाल के दूसरे बेटे 61 वर्षीय राम देव ने बताया कि सुरंग के खुलने से लाहौल-स्पीति जिले की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव होगा। सिंह राज्य सूचना विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश सड़क यातायात निगम की बस में लाहौल के उत्तरी द्वार से कुल्लू जिले के मनाली में दक्षिणी द्वार की यात्रा भी की। इस बस को प्रधानमंत्री मोदी ने हरी झंडी दिखाई थी।

जनजातीय जिले के निवासियों ने भी इस सुरंग के निर्माण का स्वागत किया है।

जिले की किर्टिंग गांव की रहनेवाली पुष्पा देवी कहती हैं कि अब किसी भी चिकित्सीय मदद के लिए अन्य जिलों में भागना नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पहले गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए समय से पहले कुल्लू-मनाली जाना पड़ता था।

भाषा शोभना सुभाष

सुभाष