इस प्रदेश में रखी गई भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय बौद्ध विश्वविद्यालय की नींव, 31 देशों के स्टूडेंट्स करेंगे पढ़ाई

International Buddhist University: त्रिपुरा के सबरूम में मंगलवार को भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय बौद्ध विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई।

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  • Publish Date - November 29, 2022 / 09:20 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 10:53 PM IST

International Buddhist University

सबरूम। International Buddhist University: त्रिपुरा के सबरूम में मंगलवार को भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय बौद्ध विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई। दक्षिण कोरिया के विश्व बौद्ध पोप संगठन के प्रमुख भिक्षु शाक्य गैसन ने थाईलैंड, म्यांमा और बांग्लादेश सहित सात देशों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में विश्वविद्यालय की बुनियाद रखी।

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दलाई लामा स्वास्थ्य संबंधी परेशानी के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने एक संदेश में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विश्वविद्यालय न केवल त्रिपुरा में बल्कि पूरे पूर्वोत्तर समेत अन्य स्थानों पर भारत की ‘करुणा’ और ‘अहिंसा’ की लंबे समय से चली आ रही परंपराओं को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। गैसन ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया को बौद्ध संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने के लिए भारत को धन्यवाद देना चाहिए।

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उन्होंने कहा, ‘कोरिया युद्ध के दौरान, भारत हमारे सैनिकों के लिए दवाएं और चिकित्सक भेजकर दक्षिण कोरिया के साथ खड़ा था। हमें इसका बदला चुकाना होगा।’विश्वविद्यालय बहुजन हिताय एजुकेशन ट्रस्ट (बीएचईटी) द्वारा स्थापित किया जा रहा है। प्रस्तावित विश्वविद्यालय में 31 देशों के विद्यार्थियों को अध्ययन के साथ-साथ बौद्ध साहित्य, संस्कृति और परंपरा पर शोध करने का मौका मिलेगा। अधिकारियों ने पहले कहा था कि इसके अलावा, परिसर में मेडिकल, तकनीकी और सामान्य डिग्री कॉलेज स्थापित करने की भी योजना है।

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International Buddhist University: धम्म दीपा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध विश्वविद्यालय विधेयक 2022 राज्य विधानसभा ने सितंबर में पारित किया था। राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय के लिए 75.84 लाख रुपये की मूल्य पर 25.28 एकड़ जमीन दी है, जबकि ट्रस्ट ने इसके लिए 100 एकड़ जमीन और मांगी है। कार्यक्रम में भाजपा के स्थानीय विधायक शंकर राय और बीएचईटी के संस्थापक अध्यक्ष धम्मपिया भी मौजूद थे। धम्मपिया ने बाद में पत्रकारों से कहा कि अगर राज्य सरकार अस्थायी व्यवस्था मुहैया कराती है तो वह अगले शैक्षणिक सत्र से अकादमिक गतिविधियों को शुरू करना चाहते हैं।