सरकार ने राष्ट्रीय वाद नीति योजना लाने का विचार रद्द किया

सरकार ने राष्ट्रीय वाद नीति योजना लाने का विचार रद्द किया

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  • Publish Date - September 28, 2025 / 04:45 PM IST,
    Updated On - September 28, 2025 / 04:45 PM IST

(नीलेश भगत)

नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) सरकार ने वर्षों से विचाराधीन राष्ट्रीय वाद नीति लाने की योजना से किनारा कर लिया है। इसके बजाय उसने केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों को अदालती मामलों में कमी लाने के उपायों को लेकर निर्देश जारी किए हैं।

सबसे बड़ा मुकदमेबाज होने का ठप्पा हटाने के लिए केंद्र सरकार उन मामलों की संख्या में कमी लाने के लिए एक व्यापक नीति पर काम कर रही है, जिनमें वह, उसके विभाग या सार्वजनिक उपक्रम पक्षकार हैं।

हालांकि, काफी सोच-विचार के बाद, केंद्रीय विधि मंत्रालय ने अंततः राष्ट्रीय वाद नीति लाने की योजना को रद्द कर दिया है।

इस कदम के पीछे यह धारणा है कि सरकार मुकदमों पर अंकुश लगाने की कोई नीति नहीं बना सकती, क्योंकि वह आम लोगों को मुकदमे दायर करने से नहीं रोक सकती।

विधि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “नीति शब्द का इस्तेमाल तब नहीं किया जा सकता, जब यह केवल सरकार, उसके मंत्रालयों और विभागों पर लागू हो और निजी मुकदमों पर न लागू हो।”

उन्होंने कहा, “जो चीज सार्वभौमिक रूप से लागू न हो, उसे ‘नीति’ नहीं कहा जा सकता… सरकारी मुकदमों की संख्या में कमी लाना एक बहुत ही आंतरिक मुद्दा है।’

अधिकारी ने बताया कि ‘निर्देश’ शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया गया है, क्योंकि इसमें ‘बल का भाव’ है और दिशा-निर्देश जैसे शब्दों का इस्तेमाल इसलिए नहीं किया गया, क्योंकि वे ‘सामान्य प्रकृति’ के होते हैं।

अधिकारी के मुताबिक, नीति नहीं लाने का एक अन्य प्रमुख कारण यह था कि इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी की आवश्यकता होती। उन्होंने कहा कि इसी तरह भविष्य में इसमें किसी भी बदलाव के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी की जरूरत पड़ती।

अप्रैल में जारी निर्देश के अनुसार, विभिन्न निर्णयों और कार्यों का उद्देश्य सार्वजनिक भलाई और बेहतर प्रशासन को बढ़ावा देना है।

इसमें कहा गया है कि मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित प्रमुख उपाय में अदालतों में ‘अनुचित अपीलों’ की संख्या को न्यूनतम करना तथा ‘अधिसूचनाओं और आदेशों’ में निहित विसंगतियों को दूर करना (जो अदालती मामलों का कारण बनते हैं) शामिल है।

कानून मंत्रालय ने फरवरी में राज्यसभा को बताया था कि केंद्र सरकार अदालतों में लंबित लगभग सात लाख मामलों में पक्षकार है, जिनमें से अकेले वित्त मंत्रालय लगभग दो लाख मामलों में वादी है।

कानूनी सूचना प्रबंधन एवं ब्रीफिंग प्रणाली (एलआईएमबीएस) पर उपलब्ध आंकड़ों का हवाला देते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था, “लगभग सात लाख ऐसे मामले लंबित हैं, जिनमें भारत सरकार पक्षकार है। इनमें से लगभग 1.9 लाख मामलों में वित्त मंत्रालय को पक्षकार के रूप में उल्लेखित किया गया है।”

भाषा संतोष पारुल

पारुल