चंडीगढ़ः Defaulter Government Employees: सरकार उन सरकारी कर्मचारियों पर एक्शन लेने की तैयारी कर रही है, जिन्होंने कोऑपरेटिव बैंकों से कर्ज ले लिया और उसे जमा करने में आनाकानी कर रहे हैं। ऐसे कर्मचारियों की संख्या सैकड़ों में है। ये कर्मचारी कोऑपरेटिव बैंकों से विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों रुपये का कर्ज़ ले रखा है। इनमें से कई वर्षों से डिफॉल्टर हैं, न तो कर्ज़ चुकाते हैं और न ही बैंकों से सहयोग करते हैं। अब सरकार इस रवैये पर लगाम लगाने की दिशा में ठोस कदम उठा ते हुए वसूली की तैयारी कर रही है। वित्त विभाग ने इसके लिए सभी विभागों का एक निर्देश पत्र जारी कर दिया है।
Defaulter Government Employees: रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजाब सरकार इन कर्मचारियों पर सख्ती की तैयारी कर रही है। जिन कर्मचारियों ने कर्ज़ लिया है लेकिन चुकाया नहीं, उनकी बकाया राशि को सीधे उनकी वेतन, पेंशन या रिटायरमेंट लाभ से काटा जाएगा। इसके लिए सहकारी विभाग और कोऑपरेटिव बैंक डिफॉल्टर कर्मचारियों की सूची डायरेक्टोरेट और लेखा विभाग को भेजने की तैयारी कर रहे हैं। बैंक अपने रिकवरी खातों को IHRMS (इंटीग्रेटेड ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम) और IFMS (इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) में दर्ज करवाएंगे ताकि संबंधित अधिकारी वेतन से रकम काटकर ईसीएस के जरिए सीधे बैंक खाते में जमा कर सकें।
इसके अलावा इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे जो वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तालमेल बनाए रखेंगे। यदि कोई कर्मचारी एकमुश्त राशि जमा करता है तो बैंक “नो-ड्यूज सर्टिफिकेट” जारी करेगा, जो रिटायरमेंट के समय अनिवार्य होगा। डीडीओ (Drawing and Disbursing Officer) हर महीने रिकवरी की रिपोर्ट बैंक को भेजेंगे। बैंक कर्मचारियों के IHRMS कोड को सॉफ्टवेयर में अपडेट करेंगे ताकि रिकवरी सही खातों में दर्ज हो सके। रिकवरी रिपोर्ट चार श्रेणियों में तैयार की जाएगी और डिफॉल्टर कर्मचारियों की तनख्वाह में ऑटोमेटिक कटौती लागू की जाएगी। इसकी प्रक्रिया अगले यानी जुलाई महीने से शुरू हो जाएगी।