कोच्चि: Human sacrifice Case केरल के एलानथूर में कथित मानव बलि का मामला सामने आने के बाद से घटना से जुड़े कई पहलुओं को लेकर रहस्य बना हुआ है। यहां तक कि उन महिलाओं को लेकर भी रहस्य कायम है जिनकी कथित बलि के नाम पर हत्या कर दी गई। आरोपी भागवल सिंह, लैला और शफी द्वारा अंजाम दिए गए इस घिनौने कृत्य का सबसे पहले रोजलिन (49) शिकार बनीं। ऐसा बताया जा रहा है कि रोजलिन लॉटरी की टिकट बेचा करती थी, जबकि आरोपियों ने दावा किया है कि वह एक वयस्क फिल्म में काम करने आई थी।
Human sacrifice Case शुरुआती खबरों में कहा गया कि रोजलिन लॉटरी का टिकट बेचती थी जबकि उनकी बेटी मंजू ने दावा किया कि उनकी मां घर-घर जाकर स्वास्थ्य उत्पाद बेचती थी। वहीं आरोपी लगातार यह दावा कर रहे हैं कि वह वेश्यावृत्ति (कॉल गर्ल) का काम करती थी जो एक व्यस्क फिल्म में काम करने आई थी। पथनमथिट्टा के एलानथूर से एक मकान से रोजलिन के शव और घटना का शिकार बनी दूसरी महिला आर. पदम्म के अवशेष निकाले गए।
रोजलिन की बेटी ने बताया कि उनकी मां पिछले छह साल से अपने साथी सजीश के साथ कलाडी के पास कई स्थानों पर रह चुकी थी। वह आठ जून से लापता थी। उनका परिवार मूल रूप से इडुक्की जिले के कट्टपना का रहने वाला था। करीब 20 साल पहले रोजलिन अपने दो बच्चों के साथ पति से अलग हो गई थी। मंजू ने कहा, ‘‘वह (सजीश) उन्हें मारा करता था। शुरुआत में हमें संदेह था कि उनके लापता होने के पीछे सजीश का हाथ है। लापता होने से पहले मेरी मां ने अपने सभी गहने सजीश को दे दिए थे, जिसने उसमें से कुछ गहने बेच भी दिए। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद बाकी गहने हमें मिल पाए।’’ पुलिस ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘वे पिछले छह साल से साथ रह रहे थे। वे उस इलाके में कई घरों में रह चुके थे और किसी भी पड़ोसी या मकान मालिक ने उनके बारे में कुछ गलत नहीं बताया।’’
पुलिस ने बताया कि सजीश दिहाड़ी मजदूर है और उसके खिलाफ मारपीट की कोई शिकायत नहीं मिली है जैसा कि रोजलिन की बेटी ने आरोप लगाया है। मंजू ने कहा, ‘‘मेरी मां जब आठ जून को लापता हुई तब मैं उत्तर प्रदेश में थी। मैंने अगस्त में यहां लौटने पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।’’ रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी शफी ने रोजलिन को एक वयस्क फिल्म में काम करने के लिए 10 लाख रुपये देने का वादा किया था और वहीं उन्हें घटनास्थल पर ले गया था। महिला की हत्या लैला ने की थी। वहीं, मामले में जान गंवाने वाली दूसरी महिला आर. पदम्म दिहाड़ी मजदूरी का काम करती थी और घर चलाने के लिए घरेलू सहायिका का काम भी कर लेती थी।
चेन्नई में रहने वाली पदम्म के बेटे सेल्वराज ने कहा, ‘‘मेरी मां को दिहाड़ी मजूदरी के लिए एक दिन के 150 रुपये मिलते थे। अधिकतम वह 1000 रुपये ही कमा पती थीं। घर चलाने के अलावा उन्होंने मुझे और मेरे भाई को पढ़ाया भी।’’ कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण दो साल तक बेरोजगार रहने के बाद सेल्वराज को करीब सात महीने पहले ही चेन्नई की एक आईटी कंपनी में नौकरी मिली थी। उनके बड़े भाई सेट्टू एक शिक्षक हैं और जल्द ही एक स्कूल में पढ़ाना शुरू करेंगे। सेल्वराज ने कहा, ‘‘मां आमतौर पर हमें रोजाना फोन करती थी, जबकि उन्हें फोन ज्यादा चलाना भी नहीं आता था। 26 सितंबर को जब उनका फोन नहीं आया और कई बार कोशिश करने पर भी जब उनसे संपर्क नहीं हो पाया तो हम घबरा गए। केरल के कल्लूर में रहने वाली मेरी मौसी पलानिम्मा ने कादवंथरा थाने में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई।’’
पलानिम्मा के अनुसार, उनकी बहन व उनके पति 15 साल पहले कोच्चि आए थे। परिवार ने पदम्म का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने के लिए उनके शव के अवशेष मांगे हैं। इस संबंध में उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को एक ई-मेल किया है। पदम्म (42) की हत्या सितंबर के आखिरी सप्ताह में और रोजलिन की हत्या जून में की गई थी। मामले के मुख्य आरोपी शफी (52), भागवल सिंह (68) और उनकी पत्नी लैला (69) अभी पुलिस हिरासत में हैं। तीनों आरोपी पुलिस के समक्ष अपना गुनाह कबूल चुके हैं।