(कृष्णा)
नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) जैवप्रौद्योगिकी विभाग की ओर से शुरू की गई ‘जीनोमइंडिया परियोजना’ रोग निदान को बेहतर बनाने, किसी दवा के प्रति व्यक्ति के शरीर की प्रतिक्रिया का अनुमान लगाने और भारत में सटीक चिकित्सा की शुरुआत करने के प्रयासों को गति देने में मदद कर सकती है। एक अनुसंधान आलेख में यह जानकारी दी गई है।
साल 2020 में शुरू की गई जीनोमइंडिया परियोजना का लक्ष्य एक ऐसा डेटाबेस तैयार करना है, जो भारत की जनसंख्या की आनुवांशिक विविधता को दर्शाए।
पहले चरण में 10,000 व्यक्तियों के जीनोम का अनुक्रमण किया गया, जिसका डेटा भविष्य के अनुसंधान के लिए इस वर्ष जनवरी में प्रकाशित किया गया।
‘नेचर जेनेटिक्स’ पत्रिका में प्रकाशित एक आलेख में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान केंद्र (सीएसआईआर) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) समेत 20 से अधिक संस्थानों के अनुसंधानकर्ताओं ने जीनोम अनुक्रमण के प्रारंभिक निष्कर्ष प्रकाशित किए हैं।
हैदराबाद स्थित ‘सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी‘ में ‘सीएसआईआर भटनागर फेलो’ कुमारसामी थंगराज ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह आलेख वैज्ञानिक समुदाय को यह बताने के लिए लिखा गया था कि भारत ने 10,000 व्यक्तियों के संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण की प्रक्रिया पूरी कर ली है। हमने पूरे भारत में विभिन्न भाषाई समूहों और भौगोलिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 83 जनसंख्या समूहों का सावधानीपूर्वक चयन किया है।’’
इस टीम ने चार प्रमुख भाषाई समूहों-भारतीय-यूरोपीय, द्रविड़, ऑस्ट्रो-एशियाटिक और तिब्बती-बर्मन के लोगों पर गौर किया। एक व्यापक भौगोलिक क्षेत्र के भीतर, अलग-अलग जैव-भूगोल से संबंधित आबादी का नमूना लिया गया।
इसके अलावा, हर गैर-आदिवासी समूह से लगभग 160 असंबंधित लोगों और प्रत्येक आदिवासी समूह से 75 लोगों के जीनोम का अनुक्रमण किया गया।
अनुसंधानकर्ताओं ने आनुवंशिक ‘वेरिएंट’ की पहचान की, जो ‘भारतीय आबादी में अब तक अप्राप्य’ व्यापक आनुवंशिक विविधता का वर्णन करता है।
देश की आबादी की तुलना में अनुक्रमित जीनोम के छोटे हिस्से के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में थंगराज ने कहा कि यह काम एक अच्छी शुरुआत है, जिसके तहत भारत में पहली बार जीनोम का जनसंख्या-स्तरीय अनुक्रमण किया गया है।
आनुवंशिकीविद् ने कहा, ‘‘भारतीयों के जीनोम का विश्लेषण करने के लिए जीनोमइंडिया परियोजना ने जो मॉडल बनाया है, वह देश में भविष्य में बड़े पैमाने पर अनुसंधान परियोजनाओं के लिए उपयोगी होगा।’’
भारतीयों की आनुवांशिकी दर्शाने वाले डेटासेट के निर्माण के लिए जीनोमइंडिया के प्रयास ब्रिटेन (यूके बायोबैंक) और यूरोप में किए जा रहे प्रयासों के समान हैं और इसका उद्देश्य एक मानक ‘भारतीय संदर्भ जीनोम डेटासेट’ बनाना है।
आलेख में कहा गया है, ‘‘रक्त जैव रसायन और मानवमिति डेटा के साथ-साथ 9,772 विविध जीनोम के गहन विश्लेषण से रोग निदान में सुधार होगा, दवा प्रतिक्रियाओं के आनुवंशिक आधार का अनुमान लगाया जा सकेगा और भारत में सटीक चिकित्सा प्रयासों को गति मिलेगी।’’
सटीक चिकित्सा से आशय व्यक्ति की आनुवांशिकी और शरीर की प्रतिक्रियाओं के आधार पर उसका इलाज किए जाने से है।
भाषा राजकुमार पारुल
पारुल