नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कार्यवाहक कुलपति पद से हाल में हटाए गए प्रोफेसर इकबाल हुसैन ने उनके स्थान पर नियुक्त प्रोफेसर मोहम्मद शकील की नियुक्ति को ‘अवैध और मनमाना’ बताते हुए मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया।
विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर शकील को 22 मई को कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया था। यह नियुक्ति उच्च न्यायालय द्वारा हुसैन की नियुक्ति को रद्द किए जाने के कुछ घंटे के बाद की गई थी।
हुसैन ने अपनी याचिका में कहा कि नयी नियुक्ति उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है, जिसने ‘स्पष्ट रूप’ से ‘विजिटर’ यानी भारत के राष्ट्रपति से कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति करने को कहा था।
न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला ने मामले को सुनवाई के लिए 30 मई को सूचीबद्ध किया, जब उन्हें यह सूचित किया गया कि यह मामला ‘विजिटर’ के पास विचाराधीन है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गेडेला ने कहा कि 22 मई के उनके आदेश में ‘बहुत स्पष्ट’ है कि नियुक्ति ‘विजिटर’ द्वारा की जानी चाहिए और सवाल किया कि विश्वविद्यालय ने कैसे नियुक्ति की।
अदालत ने कहा, ‘‘ मैं बहुत स्पष्ट हूं कि ‘विजिटर’ को शक्ति है। किस अधिकार के तहत जामिया ने यह किया? किसने किया? क्या रजिस्ट्रार को नियुक्ति करने का अधिकार है? ’’
जामिया की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल चेतन शर्मा और वकील प्रीतीश सभरवाल ने अदालत को सूचित किया कि ‘विजिटर’ द्वारा नामित व्यक्तियों ने उस बैठक में भाग लिया, जिसमें सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर शकील की नियुक्ति का फैसला किया गया था और इस मामले पर ‘विजिटर’ द्वारा विचार किया जा रहा है।
भाषा धीरज दिलीप
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