जम्मू-कश्मीर: सेना ने एनएच-244 पर यातायात बहाल करने के लिए ‘बेली ब्रिज’ का काम शुरू किया

जम्मू-कश्मीर: सेना ने एनएच-244 पर यातायात बहाल करने के लिए ‘बेली ब्रिज’ का काम शुरू किया

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  • Publish Date - September 2, 2025 / 08:10 PM IST,
    Updated On - September 2, 2025 / 08:10 PM IST

जम्मू, दो सितंबर (भाषा) लगातार बारिश के बावजूद सेना ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के डोडा और किश्तवाड़ जिलों को संपर्क प्रदान करने के लिए जंगलवार धारा पर एक ‘बेली ब्रिज’ का निर्माण शुरू कर दिया।

पिछले सप्ताह हुई रिकॉर्ड बारिश के बाद सेना द्वारा बनाया जा रहा यह दूसरा ऐसा पुल है। भारी बारिश के कारण क्षेत्र में व्यापक तबाही हुई है।

सेना की जम्मू स्थित व्हाइट नाइट कोर इकाई ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जम्मू क्षेत्र में विनाशकारी बाढ़ ने बड़े इलाकों को जलमग्न कर दिया है, मकान, पुल बह गए हैं। डोडा और किश्तवाड़ की जीवन रेखा एनएच-244, थात्री के पास बह गई, जिससे आवागमन बाधित हो गया और गांवों का संपर्क टूट गया।’’

पोस्ट में कहा गया कि सेना के इंजीनियर सैन्यकर्मी वर्तमान में पुल के सामान को जुटाने और डोडा के जंगलवार नाले पर ‘बेली ब्रिज’ बनाने का काम कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य जल्द से जल्द आंशिक संपर्क बहाल करना है।

सेना ने कहा, ‘‘मौसम और भू-भाग की चुनौतियों के बावजूद, इंजीनियरों द्वारा नागरिक प्रशासन के साथ निकट समन्वय में पुल का निर्माण कार्य पूरे ज़ोर-शोर से शुरू हो गया है। व्हाइट नाइट कोर के जवान क्षेत्र की सुरक्षा और जम्मू-कश्मीर पुलिस यातायात नियंत्रण, पुनर्निर्माण कार्यों की सुचारू प्रगति सुनिश्चित कर रही है।’’

सेना के अभियंताओं ने 29 अगस्त को 12 घंटे के अभियान में बाढ़ प्रभावित तवी पुल को जोड़ने के लिए 110 फुट लंबा ‘बेली ब्रिज’ बनाया, ताकि जम्मू शहर में इस महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग पर वाहनों का आवागमन बहाल हो सके।

रामबन जिला प्रशासन ने भी बट्टी में एक अस्थायी ‘बेली ब्रिज’ बनाने के लिए सेना की मदद ली। बट्टी में एक पुल हाल में चिनाब नदी में आई अचानक बाढ़ में बह गया था, जिससे गूल उप-मंडल, रामबन तहसील के कुछ हिस्सों और कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परियोजनाओं से संपर्क प्रभावित हुआ था।

किश्तवाड़, कठुआ, रियासी और रामबन जिलों में 14 अगस्त से बादल फटने, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण 130 से अधिक लोग मारे गए और 120 से अधिक घायल हो गए, जबकि 33 का पता नहीं चल पाया है। जान गंवाने वालों में अधिकतर तीर्थयात्री थे।

भाषा आशीष धीरज

धीरज