Demand 'Bharat Ratna' to Lalu Yadav
पटना : Land for Job Scam: लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में लालू यादव परिवार को राउज एवेन्यू कोर्ट से बड़ी राहत मिली है और कोर्ट ने लालू यादव के अलावा राबड़ी देवी , मीसा भारती और तेजस्वी यादव जमानत दे दी है। कोर्ट ने सभी को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। लैंड फॉर जॉब केस में लालू यादव और राबड़ी देवी के अलावा अन्य 6 आरोपियों ने कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और सभी 6 आरोपियों को जमानत दे दी है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी एवं पूर्व सीएम राबड़ी देवी, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत अन्य सभी 17 आरोपियों को समन जारी किया था। अदालत ने सभी आरोपियों को 4 अक्टूबर को हाजिर होने का निर्देश दिया था।
Land for Job Scam: राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने आरोपियों को उनके खिलाफ जारी समन के अनुपालन में अदालत में पेश होने के बाद यह राहत दी। अदालत ने 22 सितंबर को लालू, राबड़ी, तेजस्वी और अन्य आरोपियों के खिलाफ दायर आरोपपत्र का संज्ञान लेने के बाद उन्हें तलब किया था और कहा था कि साक्ष्य ‘प्रथम दृष्टया’ भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी सहित विभिन्न अपराधों को अंजाम दिए जाने की तरफ इशारा करते हैं।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने कथित घोटाले के संबंध में तीन जुलाई को आरोप पत्र दायर किया था। यह जांच एजेंसी द्वारा मामले में दायर किया गया दूसरा आरोप पत्र था। हालांकि, यह पहला आरोप पत्र था, जिसमें तेजस्वी यादव को आरोपी के रूप में नामित किया गया है। लालू नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले के साथ-साथ चारा घोटाला से जुड़े मामलों में भी जमानत पर बाहर हैं।
Land for Job Scam: अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला साल 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान मध्य प्रदेश के जबलपुर में रेलवे के पश्चिम-मध्य क्षेत्र में ग्रुप-डी नियुक्तियों से संबंधित है, जिसके बदले में आवेदकों ने राजद सुप्रीमो के परिजनों या सहयोगियों के नाम पर भूमि उपहार में दी थी या हस्तांतरित की थी। जांच एजेंसी ने 18 मई 2022 को लालू, उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों व निजी व्यक्तियों सहित 15 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सीबीआई ने पिछले साल अक्टूबर में लालू, राबड़ी और अन्य के खिलाफ मामले में पहला आरोप पत्र दायर किया था. यह रेलवे के मुंबई मुख्यालय वाले सेंट्रल जोन में की गई नियुक्तियों से संबंधित था।