निष्पक्षता की कसौटी पर खरे नहीं उतरते विधानसभा अध्यक्ष के कई फैसले : अशोक गहलोत

निष्पक्षता की कसौटी पर खरे नहीं उतरते विधानसभा अध्यक्ष के कई फैसले : अशोक गहलोत

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  • Publish Date - May 17, 2025 / 05:05 PM IST,
    Updated On - May 17, 2025 / 05:05 PM IST

जयपुर, 17 मई (भाषा) राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा कि राज्य विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा लगातार ऐसे फैसले किए जा रहे हैं जो इस पद की गरिमा एवं निष्पक्षता की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं।

गहलोत के अनुसार, पहले उन्होंने (विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी) कांग्रेस के छह विधायकों को निलंबित किया। इसके बाद पहली बार ऐसा हुआ कि मीडिया में आईं अपुष्ट खबरों को लेकर सदन में चर्चा की तथा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा पर उनकी अनुपस्थिति में अवांछित टिप्पणी की जो जनमत का अपमान थी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा,” एक मई 2025 को भाजपा विधायक को तीन साल की सजा होने के बावजूद 17 दिन बीत जाने पर भी उनकी सदस्यता रद्द नहीं की है जबकि लिली थॉमस मामले में उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं कि सांसद या विधायक को दो वर्ष की सजा होने पर उनकी सदस्यता सजा सुनाए जाने वाले दिन से ही रद्द हो जाएगी।”

उन्होंने कहा, ‘‘अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद एवं मौजूदा विधायक नरेंद्र बुडानिया को 30 अप्रैल को विशेषाधिकार समिति का अध्यक्ष बनाया गया और अब केवल 15 दिन बाद ही उन्हें विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया। इन समितियों के अध्यक्ष का कार्यकाल सामान्यत कम से कम एक वर्ष का होता है। ऐसा विधानसभा में संभवत: पहली बार हुआ है कि 15 दिन में ही अध्यक्ष बदला गया हो।’’

गहलोत के अनुसार,” विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी द्वारा किए गए ऐसे फैसले उनकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। उन्हें इन फैसलों पर पुनर्विचार कर विधानसभा की परंपराओं के अनुरूप एवं विधि सम्मत कार्य करना चाहिए।”

भाषा

पृथ्वी, रवि कांत रवि कांत