नईदिल्ली: Rabi season MSP increased, कैबिनेट के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “रबी सीजन की MSP बढ़ाने से कुल 84263 करोड़ रुपए हमारे किसानों भाईयों के मेहनत के इसमें जाएंगे…रबी सीजन 2026-27 के दौरान अनुमानित खरीद 297 लाख मीट्रिक टन होने की संभावना है और प्रस्तावित एमएसपी पर किसानों को भुगतान की जाने वाली राशि 84,263 करोड़ रुपये है।”
कैबिनेट के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “…केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 57 नए केंद्रीय विद्यालयों (केवी) को मंजूरी दी है, जिन्हें कवर किया जा रहा है। 20 केवी उन जिलों में खोलने का प्रस्ताव है जहां वर्तमान में कोई केवी नहीं है। 14 केवी आकांक्षी जिलों में, 4 केवी वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में और 5 केवी नॉर्थ ईस्टर्न/पहाड़ी क्षेत्रों में प्रस्तावित हैं।”
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “केंद्रीय कैबिनेट द्वारा आज लिया गया पांचवां बड़ा फैसला NH-715 (86 किमी, 6,957 करोड़ रुपये) के कलियाबोर-नुमालीगढ़ खंड को चार लेन का बनाना है। इसमें काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 34 किमी लंबा एलिवेटेड वायाडक्ट है।” केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “केंद्र सरकार ने 1 जुलाई से प्रभावी महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में 3% की वृद्धि को मंजूरी दे दी है।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों को महंगाई भत्ते (डीए) और पेंशनभोगियों को महंगाई राहत (डीआर) की एक अतिरिक्त किस्त जारी करने की स्वीकृति दी, जो 01 जुलाई, 2025 से प्रभावी माना जाएगा।
यह मूल वेतन/पेंशन के मौजूदा 55 प्रतिशत की दर में 3 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि है, जिससे मूल्य वृद्धि की भरपाई की जा सके। महंगाई भत्ते और महंगाई राहत दोनों में बढ़ोतरी से प्रति वर्ष राजकोष पर 10083.96 करोड़ रुपये का संयुक्त प्रभाव पड़ेगा। महंगाई भत्ते में वृद्धि से केंद्र सरकार के लगभग 49.19 लाख कर्मचारी और 68.72 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे। यह वृद्धि सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के स्वीकृत फॉर्मूले के अनुरूप है।
मोदी सरकार ने रबी सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि करने का ऐलान किया है। रबी सीजन के लिए 84,263 करोड़ रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाएगा। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) ने रबी सीजन में 6 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश की है:
गेहूं
जौ
चना
मसूर (मसूर)
रेपसीड/सरसों
कुसुम
अभी देश में कई प्रकार की दालों का आयात होता है जिस पर सरकार का भारी-भरकम खर्च होता है। सरकार दलहन की खेती बढ़ाना चाह रही है लेकिन खरीफ फसलों की बुवाई का आंकड़ा निराशाजनक है। तुअर की खेती लगातार पिछड़ रही है। हाल में जारी आंकड़े में दलहन और तिलहन की खेती का रकबा कम हुआ है। इसे देखते हुए 6 साल के लिए 11,000 करोड़ रुपये का फंड अहम माना जा सकता है।