नियमितीकरण की मांग को लेकर सहायक प्रोफेसर कर रहे प्रदर्शन, TEQIP में हुई थी अस्थाई नियुक्ति

नियमित किए जाने की मांग को लेकर 150 से ज्यादा सहायक प्रोफेसर कर रहे हैं प्रदर्शन

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  • Publish Date - September 4, 2021 / 06:10 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:54 PM IST

नयी दिल्ली, 4 सितंबर (भाषा) शिक्षा मंत्रालय की टीईक्यूआईपी परियोजना के तीसरे चरण के तहत भर्ती किए गए 150 से ज्यादा सहायक प्रोफेसर अपनी सेवाओं को नियमित किए जाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

एक बयान में कहा गया कि विश्व बैंक के साथ शुरू किए गए तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (टीईक्यूआईपी) का उद्देश्य विशेष रूप से कम आया वाले राज्यों और विशेष श्रेणी वाले राज्यों में मौजूदा इंजीनियरिंग कॉलेजों को उच्च योग्यता वाले संकाय सदस्य उपलब्ध कराकर तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है।

बयान में कहा गया कि प्रदर्शन करने वालों को परियोजना के तीसरे चरण के तहत सहायक प्रोफेसर के तौर पर जोड़ा गया था। इसके मुताबिक यह परियोजना 30 सितंबर को समाप्त होने वाली है।

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बयान में कहा गया कि टीईक्यूआईपी-3 परियोजना के तहत 12 राज्यों के ग्रामीण व विशेष तवज्जो वाले क्षेत्रों में 71 इंजीनियरिंग संस्थानों के लिये अस्थायी तौर पर 1500 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की गई थी।

यहां ‘मंडी हाउस’ पर प्रदर्शन कर रहे उज्जैन के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाने वाले तेजस बेले ने कहा कि टीईक्यूआईपी का तीसरा चरण 2017 से चल रहा है और यद्यपि इसे सितंबर 2020 में खत्म हो जाना था लेकिन हमें सितंबर 2020 और मार्च 2021 में दो बार सेवा विस्तार मिला।

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बेले ने कहा, “केंद्र की तरफ से हमे भुगतान किया जा रहा था। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे जिसके तहत यह वादा किया गया था कि परियोजना की अवधि पूरी होने के बाद अच्छा प्रदर्शन करने वाले संकाय सदस्यों की सेवाओं को राज्य सरकार सहायक प्रोफेसर के तौर पर जारी रखेंगी।”

उन्होंने कहा, “केंद्र हालांकि हमें समझौता ज्ञापन के मुताबिक राज्य सरकार के पास जाने के लिये कह रहा है जबकि राज्य सरकारें कह रही हैं कि हमारी भर्ती केंद्र द्वारा की गई है। हम 25 अगस्त से यहां है और अपनी सेवाओं को बरकरार रखने की मांग कर रहे हैं। परियोजना 30 सितंबर को खत्म हो रही है। हम दिल्ली में ही रहेंगे यहां से कहीं नहीं जाएंगे।”