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नई दिल्लीः Sedition Cases in Last 8 Years राजद्रोह की धारा अक्सर चर्चा में रहती है। जब भी किसी पर इस धारा का इस्तेमाल किया जाता है तो यह सुर्खियों में आता है। लेकिन क्या आपको पता है कि राजद्रोह की धारा क्यों लगाया जाता है और किन लोगों पर इस धारा के तहत कार्रवाई की जाती है? वहीं, क्या आपको पता है कि मोदी सरकार के 8 साल के कार्यकाल में कितने लोगों को खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है और किस राज्य ने सबसे ज्यादा इस कानून का प्रयोगा किया? तो चलिए आपको बताते हैं इस संबंध में पूरी डिटेल।
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Sedition Cases in Last 8 Years दरअसल एनसीआरबी ने हाल ही में देशभर में दर्ज हुए राजद्रोह के मामलों का आंकड़ा पेश किया है। जार आंकड़ों के अनुसार साल 2014 से 2021 के बीच देश में दर्ज 475 मामले दर्ज किए गए हैं। हैरानी की बात ये है कि इनमें सबसे ज्यादा मामले असम में दर्ज किए गए हैं। इसका मतलब है कि पिछले आठ वर्षों में देश में दर्ज छह में से एक राजद्रोह का मामला असम से आया है।
एनसीआरबी की क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट के लेटेस्ट वर्जन से इस बात का पता चला है कि साल 2021 में देश भर में 76 राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए थे, जो कि साल 2020 में दर्ज किए गए 73 से मामूली रूप से ज्यादा थे। वहीं साल 2019 में इन मामलों की संख्या 93, 2018 में 70, साल 2017 में 51 मामले, साल 2016 में 35 मामले, साल 2015 में 30 मामले और 2014 में 47 मामले दर्ज थे।
राजद्रोह के मामलों के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि असम के बाद, ऐसे सबसे अधिक मामले हरियाणा (42 मामले) से सामने आए, इसके बाद झारखंड (40), कर्नाटक (38), आंध्र प्रदेश (32) और जम्मू और कश्मीर ( 29)। इन छह राज्यों में 250 मामले दर्ज किए गए हैं जो कि 8 साल में पूरे देश में दर्ज कुल राजद्रोह के मामलों की संख्या के आधे से अधिक हैं।
भारतीय दंड संहिता के अनुसार धारा 124 ए के तहत अगर कोई व्यक्ति सरकारी के खिलाफ कोई लेख लिखता है, या ऐसे किसी लेख का समर्थन करता है तो वह राजद्रोह है। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करता है या संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो वह राजद्रोह है। ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ राजद्रोह कानून के तहत केस दर्ज हो सकता है। देश विरोधी संगठन से किसी भी तरह का संबंध रखने या उसका सहयोग करने वाले के खिलाफ भी राजद्रोह का केस दर्ज हो सकता है। इस कानून के तहत दोषी को तीन साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों लगाया जा सकता है।