नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने सोमवार को कहा कि उसने वैज्ञानिक नदी प्रबंधन को मजबूत करने और गंगा बेसिन में प्रदूषण निवारण प्रयासों में तेजी लाने के उद्देश्य से कई प्रमुख अनुसंधान और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
ये निर्णय राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की कार्यकारी समिति (ईसी) की 67वीं बैठक में लिए गए, जिसकी अध्यक्षता इसके महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की।
इसमें डेटा आधारित योजना, जलवायु लचीलापन और गंगा तथा यमुना दोनों नदियों के पुनरुद्धार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
जल संसाधन विभाग और मिशन में भाग लेने वाले राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बैठक में भाग लिया, जिसमें अनुसंधान-आधारित हस्तक्षेपों पर जोर दिया गया।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की कार्यकारी समिति (ईसी) ने कई अध्ययनों को मंजूरी दी है जो गंगा बेसिन की वैज्ञानिक समझ को मजबूत करेंगे, जिसमें हिमालयी ग्लेशियरों की निगरानी और गंगा का डिजिटल ट्विन बनाना, सोनार आधारित नदी तल सर्वेक्षण, पैलियोचैनल के माध्यम से प्रबंधित जलभृत पुनर्भरण और ऐतिहासिक भू-स्थानिक मानचित्रों का डिजिटलीकरण शामिल है।
अधिकारियों ने कहा कि ये परियोजनाएं उन्नत मॉडलिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) उपकरणों और उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटासेट को दीर्घकालिक नदी पुनरुद्धार में एकीकृत करने की दिशा में बदलाव का प्रतीक हैं।
प्रदूषण निवारण के प्रमुख उपायों के तहत समिति ने पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में महानंदा नदी की सफाई के लिए नालियों को रोकने, उनका मार्ग बदलने तथा नए सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के निर्माण के लिए 361.86 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी।
आम लोगों तक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से एनएमसीजी की कार्यकारी समिति ने दिल्ली-एनसीआर के 200 स्कूलों के 2.5 लाख से अधिक छात्रों को शामिल करने के लिए ‘गंगा के लिए युवा, यमुना के लिए युवा’ पहल को मंजूरी दी।
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