नई दिल्ली : NSA Ajit Doval arrives in Moscow : भारत के राष्ट्रिय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मॉस्को दौरे पर हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अजीत डोभाल यूक्रेन के साथ युद्ध को लेकर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करके संबंधों में सुधार करने की पहल करेंगे। बता दें कि अजीत डोभाल मंगलवार को अघोषित यात्रा पर रूस पहुंचे। सूत्रों ने कहा कि वे मुख्य रूप से अपने समकक्ष निकोलाई पेत्रुशेव से मिल सकते हैं।
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NSA Ajit Doval arrives in Moscow : फिलहाल उनका सिर्फ पत्रुशेव से मिलने का कार्यक्रम निर्धारित है। हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन या अन्य नेताओं के साथ भी वे बैठक कर सकते हैं लेकिन यह अभी तय नहीं है। फ्रांस और जर्मनी समेत अमेरिका और यूरोपीय शक्तियां मॉस्को को युद्धविराम के लिए राजी करने के लिए नई दिल्ली पर भरोसा कर रही हैं। सूत्रों ने कहा, यह दर्शाता है कि पश्चिमी देशों के आश्वासन के बाद भारत को एक सूत्रधार की भूमिका में आगे बढ़ने का हौसला मिला है।
NSA Ajit Doval arrives in Moscow : वहीं दूसरी ओर पश्चिमी नेता यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की को युद्धविराम के लिए सहमत होने और रूस के साथ समझौता करने के लिए बातचीत शुरू करने का दबाव बना रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि भारत इसे एक अवसर के रूप में देखता है, क्योंकि अगर वे युद्धविराम करने में कामयाब हो जाते हैं, तो यूरोप में उसका सम्मान काफी बढ़ जाएगा। इस यात्रा का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू भारत को रक्षा आपूर्ति कराना है।
NSA Ajit Doval arrives in Moscow : दरअसल भारत रूस पर वैश्विक प्रतिबंधों और भारत को आपूर्ति पर इसके प्रभाव को लेकर चिंतित है। सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान एनएसए अजीत डोभाल भारत को ईंधन की आपूर्ति और किसी भी संभावित बातचीत पर भी विचार करेगा। अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान अजीत डोभाल अफगानिस्तान, आतंकवाद, रक्षा और यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा समेत कई क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं।
NSA Ajit Doval arrives in Moscow : इस साल फरवरी में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद भारत में यूक्रेनी दूत ने पीएम नरेंद्र मोदी से पुतिन को रोकने में मदद करने और यूक्रेन पर रूस युद्ध के कृत्य की निंदा करने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। वहीं भारत भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देशों से युद्ध रोकने की अपील की है। भारत ने यूएन में कहा था कि खून बहाकर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है।