रिज मामले में दो पीठों के समक्ष ​​कार्यवाही पर न्यायालय ने कहा: हम परस्पर विरोधी आदेश नहीं चाहते

रिज मामले में दो पीठों के समक्ष ​​कार्यवाही पर न्यायालय ने कहा: हम परस्पर विरोधी आदेश नहीं चाहते

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  • Publish Date - July 24, 2024 / 09:12 PM IST,
    Updated On - July 24, 2024 / 09:12 PM IST

नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई को लेकर विभिन्न पीठों के समक्ष लंबित दो अलग-अलग अवमानना ​​कार्यवाही का संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह ‘‘न्यायिक शुचिता’’ में विश्वास करता है और नहीं चाहता कि कोई परस्पर विरोधी आदेश पारित किया जाए।

न्यायालय ने कहा कि विरोधाभासी आदेशों से बचने के लिए यह उचित होगा कि रिज से संबंधित मामलों की सुनवाई एक ही पीठ द्वारा की जाए। न्यायालय ने हैरानी जताते हुए कहा कि जब एक पीठ पहले से ही मामले पर विचार कर रही है तो क्या किसी दूसरी पीठ को इस पर विचार करना चाहिए था।

रिज दिल्ली में अरावली पर्वत श्रृंखला का विस्तार है और यह एक चट्टानी, पहाड़ी और वन क्षेत्र है। प्रशासनिक कारणों से इसे चार क्षेत्रों दक्षिण, दक्षिण-मध्य, मध्य और उत्तर में विभाजित किया गया है। इन चारों क्षेत्रों का कुल क्षेत्रफल लगभग 7,784 हेक्टेयर है।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति पी.के. मिश्रा और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने इस पर गौर किया कि पेड़ों की कटाई के संबंध में अवमानना ​​की कार्यवाही इस वर्ष 24 अप्रैल को उनकी अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा शुरू की गई थी, लेकिन शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ ने भी मई में इस मुद्दे पर अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू की थी।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘अन्य पीठ के लिए यह अधिक उपयुक्त होता कि वह उसी कारण से अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने से पहले प्रधान न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांग लेती कि किस पीठ को उक्त कार्यवाही जारी रखनी चाहिए…।’’

पीठ ने शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वह मामले को उचित आदेश के लिए प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखें। पीठ ने कहा कि वह अपने द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं रखती है, क्योंकि दूसरी पीठ के समक्ष पहले से ही सुनवाई आगे बढ़ चुकी है।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि ‘‘हम कोई विरोधाभासी आदेश नहीं चाहते, क्योंकि हम न्यायिक शुचिता में विश्वास रखते हैं।’’

न्यायालय ने कहा कि पेड़ों की कटाई के संबंध में अवमानना ​​की कार्यवाही पहली बार इस वर्ष 24 अप्रैल को न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा ‘इन री: टी एन गोदावर्मन थिरुमुलपाद’ शीर्षक वाले मामले में शुरू की गई थी।

पीठ ने कहा कि बाद में मई में न्यायमूर्ति ए.एस. ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने भी मामले में अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की थी।

फरवरी 2023 के अपने आदेश में, उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि दिल्ली में रिज एक फेफड़े के रूप में कार्य करता है, जो राष्ट्रीय राजधानी के नागरिकों को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है, इसलिए, इसके संरक्षण की आवश्यकता को कमतर नहीं किया जा सकता है।

भाषा आशीष प्रशांत

प्रशांत