केवल संवैधानिक अदालतें ही बिना किसी छूट के आजीवन कारावास की सजा दे सकती हैं : उच्चतम न्यायालय

केवल संवैधानिक अदालतें ही बिना किसी छूट के आजीवन कारावास की सजा दे सकती हैं : उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - December 18, 2025 / 09:51 PM IST,
    Updated On - December 18, 2025 / 09:51 PM IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिना किसी छूट के आजीवन कारावास की सजा देने का अधिकार केवल संवैधानिक अदालतों को दिया गया है, न कि सत्र न्यायालयों को।

न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि किसी अभियुक्त को दी गई आजीवन कारावास की सजा जीवन भर के लिए होगी और सत्र न्यायालय द्वारा सजा में छूट और उसे कम करने की शक्ति को सीमित नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने कहा, ‘‘ सत्र न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास की सजा को प्राकृतिक रूप से जीवन के अंत तक बढ़ाने का निर्देश नहीं दिया जा सकता, क्योंकि ऐसा करना दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के विपरीत होगा।’’

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘ राज्य को दी गई सजा में छूट या उसे कम करने की शक्ति को छीना नहीं जा सकता और भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत अपराध के लिए निचली अदालत द्वारा दी गई और उच्च न्यायालय द्वारा पुष्टि की गई सजा को बरकरार रखा जा सकता है।’’

उच्चतम न्यायालय में एक ऐसे मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसमें एक व्यक्ति ने एक विधवा के यौन संबंध बनाने से इनकार करने पर आग लगाकर उसकी हत्या कर दी थी।

अधीनस्थ न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और सजा में छूट की संभावना को भी समाप्त कर दिया था।

भाषा रवि कांत रवि कांत नेत्रपाल

नेत्रपाल