Malegaon Blast Case Verdict: मालेगांव ब्लास्ट मामले के आरोपियों को कोर्ट ने किया बरी, भड़के AIMIM चीफ ओवैसी, कहा- इस केस की जानबूझकर घ‌टिया जांच की गई

मालेगांव ब्लास्ट मामले के आरोपियों को कोर्ट ने किया बरी, भड़के AIMIM चीफ ओवैसी, Owaisi furious over court's decision in Malegaon blast case

  •  
  • Publish Date - July 31, 2025 / 06:16 PM IST,
    Updated On - July 31, 2025 / 06:16 PM IST

Owaisi Latest News. Image Source- ANI

HIGHLIGHTS
  • मालेगांव धमाके के सभी सात आरोपी बरी, सबूतों की कमी के कारण।
  • ओवैसी ने जांच एजेंसियों और राजनीतिक हस्तक्षेप पर उठाए गंभीर सवाल।
  • हेमंत करकरे, रोहिणी सलियन और प्रज्ञा ठाकुर जैसे नामों को लेकर फिर गरमाई बहस।

नई दिल्लीः Malegaon Blast Case Verdict: मालेगांव ब्लास्ट मामले में NIA की स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार (31 जुलाई) को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने 2008 के विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इस मामले पर अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अदालत के फैसले पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि विस्फोट में छह नमाजी मारे गए और लगभग 100 घायल हुए। उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया। जानबूझकर की गई घटिया जांच/अभियोजन पक्ष इस बरी होने के लिए जिम्मेदार है।

Read More : BEL Share Price: PSU डिफेंस कंपनी का मुनाफा उछला 24.9%, निवेशकों के लिए बना गोल्डन चांस! 

Malegaon Blast Case Verdict: ओवैसी ने इस फैसले को “निराशाजनक” बताया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि 6 नमाजियों की मौत हुई, 100 लोग घायल हुए। उन्हें उनके धर्म की वजह से निशाना बनाया गया। जानबूझकर की गई लापरवाही भरी जांच की वजह से आरोपी बरी हुए।” उन्होंने पूछा कि क्या मोदी और महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार इस फैसले को चुनौती देगी, जैसा उन्होंने मुंबई ट्रेन धमाकों के मामले में किया था। ओवैसी ने कहा, “17 साल बाद भी इंसाफ नहीं मिला। महाराष्ट्र की ‘सेक्युलर’ पार्टियां जवाबदेही क्यों नहीं मांगतीं? 6 लोगों को किसने मारा?”

Read More : Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के इस जिले में हिली धरती, महसूस किए गए भूकंप के झटके, पूरे इलाके में दहशत का माहौल 

राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप

ओवैसी ने जांच में राजनीतिक दखलंदाजी का भी आरोप लगाया। उन्होंने 2016 में अभियोजक रोहिणी सलियन के बयान का जिक्र किया, जिन्होंने कहा था कि एनआईए ने उनसे आरोपियों पर “नरम” रुख अपनाने को कहा था। ओवैसी ने यह भी बताया कि 2017 में एनआईए ने प्रज्ञा ठाकुर को बरी करने की कोशिश की थी, जो बाद में 2019 में बीजेपी सांसद बनीं। ओवैसी ने शहीद पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे का भी ज़िक्र किया, जिन्होंने मालेगांव मामले की साजिश उजागर की थी। करकरे 26/11 मुंबई हमले में शहीद हो गए थे। ओवैसी ने बीजेपी सांसद पर निशाना साधा, जिन्होंने करकरे को “श्राप” देने की बात कही थी।

Read More : CG Politics: छत्तीसगढ़ यूथ कांग्रेस में होगा बड़ा बदलाव, इन युवा नेताओं की होगी छुट्टी, जल्द जारी हो सकती है नई सूची

AIMIM चीफ ने जांच एजेंसियों पर उठाया सवाल

ओवैसी ने जांच एजेंसियों, एनआईए और एटीएस, की लापरवाही और संदिग्ध भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ”यह आतंकवाद पर कठोर होने का दावा करने वाली मोदी सरकार का असली चेहरा दिखाता है, जिसने एक आतंकी मामले की आरोपी को सांसद बनाया। क्या दोषी जांच अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा?” ओवैसी का कहना है कि जवाब सभी जानते हैं। यह मामला न केवल जांच प्रक्रिया की खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि क्या भारत में धार्मिक आधार पर हिंसा के पीड़ितों को कभी न्याय मिलेगा। मालेगांव के पीड़ित आज भी जवाब की प्रतीक्षा में हैं।

 

मालेगांव ब्लास्ट कब हुआ था और क्या हुआ था?

मालेगांव ब्लास्ट 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत हुई और 100 से अधिक घायल हुए थे।

कोर्ट ने किस आधार पर आरोपियों को बरी किया?

NIA की स्पेशल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया।

असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा?

ओवैसी ने इस फैसले को निराशाजनक बताया और कहा कि जानबूझकर घटिया जांच की गई, जिससे आरोपी छूट गए।

क्या सरकार इस फैसले को चुनौती देगी?

ओवैसी ने सवाल उठाया कि क्या केंद्र और महाराष्ट्र सरकार इस फैसले को चुनौती देंगी, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

प्रज्ञा ठाकुर का इस केस से क्या संबंध है?

प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी थीं। 2019 में वह भाजपा से सांसद बनीं, जिस पर ओवैसी ने सवाल उठाए हैं।