नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों के नागरिकों के खिलाफ नस्ली भेदभाव एवं हिंसा को रोकने में ‘‘लगातार संवैधानिक विफलता’’ को दूर करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
जनहित याचिका त्रिपुरा के 24 वर्षीय एमबीए छात्र एंजेल चकमा की हत्या के मद्देनजर 28 दिसंबर को दायर की गई थी।
चकमा की 27 दिसंबर को देहरादून के सेलाक्वी क्षेत्र में नस्ली हमले में लगी गंभीर चोटों के कारण मृत्यु हो गई थी।
उनाकोटी जिले के मचमारा का रहने वाला चकमा अगरतला के होली क्रॉस स्कूल से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद एमबीए करने के लिए देहरादून गया था, जहां उसके छोटे भाई माइकल की मौजूदगी में चाकू मारकर उसकी हत्या कर दी गई।
चकमा के परिजन इस घटना में शामिल सभी आरोपियों के लिए मौत की सजा या कम से कम आजीवन कारावास की मांग कर रहे हैं। दिल्ली के वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को जनहित याचिका में पक्षकार बनाया है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘पूर्वोत्तर राज्यों और भारत के अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों के भारतीय नागरिकों के खिलाफ नस्ली भेदभाव और हिंसा के मुद्दे के समाधान के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की जाती है।’’
इसमें चकमा की मृत्यु का कारण बनने वाले अपराध का वर्णन करते हुए कहा गया, ‘‘हम भारतीय हैं। इसे साबित करने के लिए हमें कौन सा प्रमाणपत्र दिखाना चाहिए? टकराव के क्रूर हिंसा में बदलने से पहले ये शब्द दुखद रूप से एंजेल चकमा के संवैधानिक नागरिकता के बारे में आखिरी दर्ज बयान बन गए।’’
याचिका में चकमा की मौत से संबंधित मीडिया की खबरों का भी हवाला दिया गया।
इसमें कहा गया, ‘‘व्यापक दिशा-निर्देश तैयार करने, ‘नस्ली अपमान’ को घृणा अपराधों की एक अलग श्रेणी के रूप में मान्यता देने और इसके लिए सजा निर्धारित करने के उद्देश्य से एक उपयुक्त रिट (कानून बनने तक अंतरिम) जारी की जाए।’’
इसमें केंद्र और राज्यों को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया कि वे केंद्रीय स्तर के साथ-साथ प्रत्येक राज्य के स्तर पर एक ‘‘नोडल एजेंसी या स्थायी निकाय या आयोग या निदेशालय’’ का गठन करें, जहां इस तरह के नस्ली अपराधों की रिपोर्ट की जा सके और उनका निवारण किया जा सके।
याचिका में कहा गया है, ‘‘केंद्रीय स्तर के साथ-साथ प्रत्येक राज्य के स्तर पर संबंधित पक्षों को निर्देश दिया जाए कि वे प्रत्येक जिले/महानगर में नस्ली अपराधों से निपटने के लिए एक समर्पित विशेष पुलिस इकाई का गठन करें।’’
इसमें कहा गया कि चकमा की हत्या कोई अलग-थलग घटना नहीं है, बल्कि यह पूर्वोत्तर राज्यों के नागरिकों के खिलाफ नस्ली दुर्व्यवहार और हिंसा के लंबे समय से चले आ रहे सिलसिले का हिस्सा है।
भाषा नेत्रपाल दिलीप
दिलीप