लद्दाख में जवानों के बीच पहुंचे पीएम मोदी, बोले ‘आत्मनिर्भर भारत का संकल्प आपके त्याग-बलिदान के कारण और भी हुआ मजबूत’

लद्दाख में जवानों के बीच पहुंचे पीएम मोदी, बोले 'आत्मनिर्भर भारत का संकल्प आपके त्याग-बलिदान के कारण और भी हुआ मजबूत'

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  • Publish Date - July 3, 2020 / 09:06 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:38 PM IST

लेह। पीएम मोदी ने आज लेह में जवानों की बीच पहुंचकर एकबार फिर से सभी को हैरान कर दिया। पीएम ने इस दौरान अधिकारियों के साथ चर्चा की, पीएम के साथी सीडीएस विपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी मौजूद रहे। इस दौरान पीएम मोदी ने जवानों को संबोधित करके उनका उत्साहवर्धन किया। पीएम ने अपने संबोधन में जवानों को उनके द्वारा सीमा पर डटकर देश की सेवा के लिए नमन किया। इस दौरान उन्होने गलवान घाटी शहीद जवानों का जिक्र भी किया और कहा कि ये उनके पराक्रम की पराकाष्ठा है।

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लद्दाख में स्थित निमू में सैनिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि आप जो सेवा करते हैं उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता है। आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा जहां आप तैनात हैं। आपकी भुजाएं उन चट्टानों से भी मज़बूत है, आज आपके बीच आकर मैं इसे महसूस कर रहा हूं।

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पीएम ने कहा कि जब देश की रक्षा आपके हाथों में है, आपके मजबूत इरादों में है, तो सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि पूरे देश को अटूट विश्वास है और देश निश्चिंत भी है। आत्मनिर्भर भारत का संकल्प आपके त्याग, बलिदान के कारण और भी मजबूत होता है। 14 कोर की जांबाजी के किस्से हर तरफ है। दुनिया ने आपका अदम्य साहस देखा है। आपकी शौर्य गाथाएं घर-घर में गूंज रही है। भारत माता के दुश्मनों ने आपकी फायर भी देखी है और आपकी फ्यूरी भी।

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पीएम ने कहा कि आज लद्दाख के लोग हर स्तर पर, चाहे वो सेना हो या सामान्य नागरिक के कर्तव्य हो, राष्ट्र को सशक्त करने के लिए अद्भुत योगदान दे रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि आप उसी धरती के वीर हैं, जिसने हजारों वर्षों से अनेकों आक्रांताओं के हमलों और अत्याचारों का मुंहतोड़ जवाब दिया है।हम वो लोग हैं जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं, हम वहीं लोग हैं जो सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण को भी अपना आदर्श मानते हैं, हमारे यहां कहा जाता है, वीर भोग्य वसुंधरा। यानी वीर अपने शस्त्र की ताकत से ही मातृभूमि की रक्षा करते हैं। ये धरती वीर भोग्या है। इसकी रक्षा-सुरक्षा को हमारा सामर्थ्य और संकल्प हिमालय जैसा ऊंचा है। ये सामर्थ्य और संकल्प में आज आपकी आंखों में, चेहरे पर देख सकता हूं: