‘चुनाव के समय मुफ्त समान देने का वादा करने वाले दलों की रद्द होगी मान्यता ? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
supreme court on freebies in election: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमणा की पीठ ने केंद्र सरकार से मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है, साथ ही वित्त आयोग और चुनाव आयोग से भी पूछा है कि वो इसमें क्या कर सकता है, मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी।
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supreme court on freebies in election: नईदिल्ली। चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से जनता के लिए किए जाने वाले मुफ्त सामान देने के वादों के संबंध में मंजूरी नहीं देने और ऐसा करने वाले राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द कराने व चुनाव चिह्न जब्त करने का निर्देश देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमणा की पीठ ने केंद्र सरकार से मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही वित्त आयोग और चुनाव आयोग से भी पूछा है कि वो इसमें क्या कर सकते हैं? इस मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी।〈 >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<< 〉
बीते मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि इस मामले को केंद्र सरकार बेहतर तरह से देख सकती है, क्योंकि एक कानून है, जिसे लागू करने की जरूरत है। इस पर सीजेआई एनवी रमणा ने कहा कि घोषणापत्र में जिस तरह से सामान मुफ्त दिए जाने का वादा किया जाता है, वो एक बड़ा मुद्दा है।
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supreme court on freebies in election: दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि ये ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें केवल चुनाव आयोग ही निपटा सकता है। इस पर सीजेआई ने कहा कि आप यह क्यों नहीं कहते कि आपका इससे कोई लेना-देना नहीं है और चुनाव आयोग को फैसला करना है? सीजेआई ने कहा कि मैं पूछ रहा हूं कि क्या भारत सरकार इस पर विचार कर रही है कि यह एक गंभीर मुद्दा है या नहीं? सीजेआई ने केंद्र सरकार से यह भी कहा कि आप इस पर रुख स्पष्ट करें। फिर हम तय करेंगे कि इन मुफ्त सुविधाओं को जारी रखा जाना है या नहीं। आप विस्तृत जवाब फाइल करें।
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इस सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है, सीजेआई ने कहा है कि यह गंभीर मुद्दा है इसलिए हम इसे सुन रहे हैं, अश्वनी उपाध्याय ने श्रीलंका में मुफ्त चीजें देने का उदाहरण देते हुए यह भी दलील दी कि वहां फ्री में सबकुछ बांटने की वजह से ऐसी स्थिति आई। मुफ्त सुविधाएं देना या उसका वादा चुनाव के दौरान किए जाने के खिलाफ कड़ा कदम उठाए जाने की जरूरत है।
supreme court on freebies in election: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस दौरान यह बताए की इस पर वित्त आयोग क्या कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने वकील कपिल सिब्बल से भी पूछा कि आपकी क्या राय है, इस पर सिब्बल ने कहा कि ये बहुत गंभीर मुद्दा है और फाइनेंस कमीशन से पूछा जाना चाहिए, सीजेआई ने याचिका दाखिल करने वाले वकील अश्वनी उपाध्याय से पूछा कि कैसे इसे रोका जाए, हमें सुझाव दें कि इसे कैसे नियंत्रित करें। अश्वनी ने कहा कि चुनाव आयोग जब किसी राजनीतिक दल को सिंबल देता है और पंजीकरण करता है। तब इस संबंध में शर्त रखता है।
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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमणा ने इस दौरान कहा कि केंद्र सरकार इसको रोकने के लिए इतना कश्मकश में क्यों है? वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। साथ ही केंद्र सरकार को इसको रोकने के लिए एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दें, वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि हम इस बात से सहमत नहीं है कि चुनाव आयोग इसको रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकता है, चुनाव आयोग राष्ट्रीय और राज्य पार्टियों को इस तरह की घोषणा करने से रोकने के लिए कह सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आप पार्टियों को मुफ्त की घोषणा करने से कैसे रोक सकते हैं।

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