नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दक्षिण पूर्व रेलवे को एक निजी कंपनी को 1,301 करोड़ रुपये अदा करने का आदेश देने संबंधी मध्यस्थता फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि सार्वजनिक धन को इस तरह बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने प्रथम दृष्टया यह पाया कि एकल मध्यस्थ द्वारा दिए गये मध्यस्थता फैसले में त्रुटि है।
पीठ ने कहा, ‘‘कम कहा जाए तो बेहतर है। न्यायाधीश के रूप में हम भी बहुत सी बातें जानते हैं।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं मध्यस्थता फैसले से खुश नहीं हूं। मामले को एक निष्पक्ष मध्यस्थ के पास जाने दें और इसकी फिर से सुनवाई होने दें। अगर रेलवे वहां हार जाए…तो ठीक है। लेकिन, मध्यस्थता प्रक्रिया इस तरह से करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यही कारण है कि मध्यस्थता बदनाम हो रही है।’’
पीठ ने कहा कि जनता के पैसे को इस तरह बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता।
पीठ अनुबंध से जुड़े कुछ विवाद के कारण कोलकाता की कंपनी रश्मी मेटालिक्स लिमिटेड के पक्ष में दिए गए मध्यस्थ के फैसले के खिलाफ दक्षिण पूर्व रेलवे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
भाषा सुभाष रंजन
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