नामांकन रद्द होने के खिलाफ पूर्व आईपीएस अधिकारी की याचिका पर विचार करने से न्यायालय का इनकार

नामांकन रद्द होने के खिलाफ पूर्व आईपीएस अधिकारी की याचिका पर विचार करने से न्यायालय का इनकार

  •  
  • Publish Date - April 30, 2024 / 04:22 PM IST,
    Updated On - April 30, 2024 / 04:22 PM IST

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उन्होंने अपना नामांकन पत्र रद्द किए जाने को चुनौती दी थी।

धर को पश्चिम बंगाल के बीरभूम से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था।

धर ने ‘नो ड्यूज’ प्रमाणपत्र पेश नहीं किया था जिसके बाद भाजपा उम्मीदवार के रूप में उनके नामांकन पत्र को निरस्त कर दिया गया।

उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी के रूप में इस्तीफा दे दिया था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि इस स्तर पर किसी भी तरह का हस्तक्षेप चुनावी प्रक्रिया को अवरुद्ध करना होगा और वह ऐसा नहीं करना चाहेगी।

शीर्ष अदालत ने धर के खिलाफ निर्वाचन अधिकारी द्वारा किसी तरह का पक्षपात किए जाने की दलील को भी कबूल नहीं किया।

धर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता निधेश गुप्ता ने कहा कि इस्तीफे के समय कोई मांग नहीं उठाई गई थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि महज इस्तीफे को स्वीकार किये जाने का मतलब यह नहीं है कि कोई बकाया लंबित नहीं है।

तब गुप्ता ने मामले को वापस लेने और निर्वाचन आयोग से संपर्क की अनुमति मांगी। मामले को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया गया।

जिला निर्वाचन अधिकारी ने तकनीकी आधार पर पूर्व आईपीएस अधिकारी की उम्मीदवारी खारिज कर दी थी।

धर के स्थान पर भाजपा ने वरिष्ठ पार्टी नेता देबतानू भट्टाचार्य को अपना उम्मीदवार बनाया जिन्होंने अपना नामांकन भर दिया।

भाषा वैभव अविनाश

अविनाश