ऐसा रहा अरुण जेटली का राजनैतिक जीवन, दिल्ली विश्वविद्यालय अध्यक्ष से लेकर देश के वित्तमंत्री तक का सफर..देखिए

ऐसा रहा अरुण जेटली का राजनैतिक जीवन, दिल्ली विश्वविद्यालय अध्यक्ष से लेकर देश के वित्तमंत्री तक का सफर..देखिए

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  • Publish Date - August 24, 2019 / 07:20 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:21 PM IST

नईदिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे अरुण जेटली अब हमारे बीच नही रहे। अरूण जेटली को मोदी सरकार—1 में एक संकट मोचक की भूमिका में माना जाता रहा है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली एक अनुभवी राजनेता के साथ-साथ जाने-माने वकील भी थे। इनका जन्‍म 28 दिसंबर 1952 को नई दिल्‍ली के नारायणा विहार इलाके के मशहूर वकील महाराज किशन जेटली के घर हुआ था।

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अरुण जेटली की प्राथमिक शिक्षा नई दिल्‍ली के सेंट जेवियर स्‍कूल में हुई। 1973 में इन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कॉमर्स में स्‍नातक की पढ़ाई पूरी की और लॉ की पढ़ाई करने के लिए 1977 में दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय में लॉ विभाग में दाखिला ले लिया। जेटली पढा़ई के साथ ही शिक्षण व अन्‍य कार्यक्रमों में भी भाग लेते रहे।

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श्री जेटली के राजनैतिक कैरियर की शुरूआत तब हुई जब वे 1974 में दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के विद्यार्थी संघ के अध्‍यक्ष चुन लिए गए। 1974 में अरुण जेटली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए। 1975 में आपातकाल के दौरान आपातकाल का विरोध करने के बाद उन्‍हें 19 महीनों तक नजरबंद रखा गया।

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1973 में उन्होंने जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्‍टाचार विरोधी आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। आपातकाल के बाद 1977 में वे हाईकोर्ट में अपनी वकालत की तैयारी करने लगे। सुप्रीम कोर्ट में जाने से पहले उन्होंने देश के कई हाईकोर्ट में अपनी तैयारी पूरी की। 1990 में अरुण जेटली ने उच्‍चतम न्‍यायालय में वरिष्‍ठ वकील के रूप में अपनी नौकरी शुरू की ​थी।

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वहीं वीपी सिंह सरकार में उन्‍हें 1989 में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया। उन्‍होंने बोफोर्स घोटाले की जांच में पेपरवर्क भी किया। उन्होंने लॉ के कई लेख लिखे हैं। 1991 में वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्‍य बन गए। 1999 के आम चुनाव में वे बीजेपी के प्रवक्‍ता बने और बीजेपी की केंद्र में सरकार आने के बाद उन्‍हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का स्‍वतंत्र प्रभार सौंपा गया। इसके बाद उन्‍हें विनिवेश का स्‍वतंत्र राज्‍यमंत्री बनाया गया।

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राम जेठमलानी के कानून, न्‍याय और कंपनी अफेयर मंत्रालय छोड़ने के बाद जेटली को इस मंत्रालय का अतिरिक्‍त कार्यभार सौंपा गया। साल 2000 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्‍हें कानून, न्‍याय, कंपनी अफेयर तथा शिपिंग मंत्रालय का मंत्री बनाया गया। 2006 में जेटली गुजरात से राज्‍यसभा के सदस्‍य बने। उन्होंने संविधान के 84वें और 91वें संशोधन में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई।

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2009 में जेटली राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बने, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर से हार गए, लेकिन केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने भरोसा जताते हुए उन्हें वित्तमंत्री के महत्वपूर्ण पद से नवाजा। जेटली ने देश में जीएसटी लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुछ समय बाद उन्होंने रक्षामंत्री का दायित्व भी निभाया। हालांकि अस्वस्थता के चलते मोदी सरकार-2 में उन्होने स्वयं प्रधानमंत्री से सरकार में कोई भी जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया।

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इसके बाद से वे लगातार बीमार होते गए, जेटली ने किडनी ट्रांसप्लांट भी कराया लेकिन उससे भी उन्हे कोई विशेष राहत नही मिली। 9 अगस्त को एम्स में भर्ती हो गए उसके बाद से लगातार उनकी तबियत बिगड़ती गई और अंतत: आज 24 अगस्त 2019 को उन्होने आखिरी सांस ली।

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