What is electoral bond
नई दिल्ली: इसी साल के मई-जून में देशभर में आम चुनाव यानी लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी तैयार में जुटे सियासी दलों को बड़ा झटका दिया हैं। सुको ने पार्टियों के नए इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर प्रतिबन्ध लगा दिया हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन माना है। कहा कि वोटर को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का हक है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह आदेश भी दिया हैं कि बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट सार्वजनिक की जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कोर्ट ने माना कि गुमनाम चुनावी बांड सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19(1)(ए) का हनन है। मुख्य न्यायधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के अलावा भी काला धन को रोकने के कई तरीके हैं।
फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि सियासी पार्टियों की फंडिंग की जानकारी उजागर न करना मकसद के विपरीत है। एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से लेकर अब तक की जानकारी सार्वजानिक करनी होगी। एसबीआई को ये जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी। इलेक्शन कमीशन इस जानकारी को साझा करेगा। एजेआई ने आदेशित किया हैं कि स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया को तीन हफ्ते के भीतर ये जानकारी देनी होगी।
CJI : SBI shall furnish the details of electoral bonds encashed by the political parties.
SBI shall submit the details to the ECI. ECI shall publish these details on the website by March 31, 2024.#SupremeCourt #ElectoralBonds
— Live Law (@LiveLawIndia) February 15, 2024
SC strikes down Electoral Bonds scheme as violative of RTI and Article 19(1)(a)
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— ANI Digital (@ani_digital) February 15, 2024