नयी दिल्ली, एक सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें मामला दर्ज करने और सामान्य न्यायिक शब्दावली के प्रयोग जैसे मुद्दों पर देशभर की अदालतों में समान न्यायिक संहिता लागू करने का अनुरोध किया गया था।
प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट की पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों की एक बैठक का हवाला दिया और कहा कि इस मामले पर चर्चा की गई थी, लेकिन सभी उच्च न्यायालयों ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘आप जानते हैं कि कुछ साल पहले मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के बीच एक बैठक हुई थी। प्रस्ताव किए गए और कुछ अदालतों ने इसे लागू किया जबकि अन्य उच्च न्यायालयों ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया।’’
एक ही चीज के लिए अलग-अलग न्यायिक शब्दावली के इस्तेमाल का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि दिल्ली में ‘टर्म लेटर पेटेंट अपील’ (एलपीए) शब्द का उपयोग अंतर-अदालती अपील के लिए किया जाता है जबकि कुछ उच्च न्यायालय ‘‘प्रथम अपील’’ का उपयोग करते हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘ बेहतर होगा कि आप इसे वापस ले लें।’’
इसके बाद याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका को वापस ले लिया।
भाषा
शफीक पवनेश
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